VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 08 श्लोक 18
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी दोपहर 01:16 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक - 19 दिसम्बर 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - हेमंत
⛅मास - मार्गशीर्ष
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद रात्रि 12:02 तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपद
⛅योग - सिद्धि शाम 06:38 तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅राहु काल - दोपहर 03:17 से 04:38 तक
⛅सूर्योदय - 07:15
⛅सूर्यास्त - 05:58
⛅दिशा शूल - उत्तर
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:29 से 06:22 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:10 से 01:03 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - नंदा सप्तमी
⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹व्यतिपात योग - 19/20 दिसम्बर 2023🔹
🔸समय अवधि : 19 दिसम्बर शाम 06:38 से 20 दिसम्बर शाम 03:57 तक
🔸व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल 1 लाख गुना होता है । - वराह पुराण
🔹नंदा सप्तमी - 19 दिसम्बर 2023🔹
🔸मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी नंदा सप्तमी कहलाती है । इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक सूर्य भगवान का पूजन व व्रत करने पर मनुष्य की सारी इच्छा पूरी हो जाती है ।
🔸इस दिन को लोटे में चावल, तिल, कुंमकुम, केसर डालकर सूर्यो नारायण को अर्घ्य दें । तिल के तेल का दीपक दिखाये ।
🔸खाँड़ सहित दही और चावल थाली में लेकर सूर्य भगवान को भोग लगाये और प्रार्थना करे हमारे घर में आपके लिए ये प्रसाद तैयार किया है ये नैवेद्य आप सूर्य भगवान स्वीकार करें और हमारे घर में सब प्रकार से आनंद छाया रहें, सब निरोग रहें, दीर्घायु बनें । ऐसा करके उनको भोग लगाये और प्रसाद में थोड़ा-सा छ्त पर रख दें । घर के लोग भी प्रसाद में दही-चावल खुद भी खा लें ।
भविष्य पुराण ब्राह्म पर्व : 100-102 अध्याय
🔹नौकरी-धंधे की समस्या दूर करने व मनोकामनापूर्ति हेतु🔹
🔸शनिवार और मंगलवार को पीपल के पेड़ में दूध, पानी व गुड़ मिलाकर चढ़ायें और प्रार्थना करें कि 'भगवान ! आपने गीता में कहा है, 'वृक्षों में पीपल मैं हूँ।' तो हमने आपके चरणों में अर्ध्य अर्पण किया है, इसे स्वीकार करें । मेरी नौकरी-धंधे की जो समस्या है वह दूर हो जाय ।'
🔸देवी-देवताओं के समक्ष दीपक आदि जलाने से वे प्रसन्न होते हैं और याचक की कामनापूर्ति कर देते हैं । पीपल वृक्ष को तो गीता में भगवान ने अपना स्वरूप ही बताया है - अश्वत्थः सर्ववृक्षाणाम् (गीता : १०.२६) । ऐसे भगवत्स्वरूप पीपल देवता के समक्ष कोई बिना किसी विशेष कामना के भी श्रद्धा-भक्तिपूर्वक दीपक आदि जलाता है तो उसे बिना माँगे ही बहुत कुछ मिल जाता है ।
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