तीनों राज्यों मे प्रचंड जीत के बाद करीब 9 दिनों में तीन बिल्कुल नये चेहरे मुख्य मंत्री के रूप में चुने गए।
इसके कुछ बिल्कुल साफ संदेश है। भाजपा नेतृत्व अब एक नई पीढी तैयार कर रहा है। इसके लिए काफी उहापोह और उधेड़बुन से गुजरना पड़ा होगा। शिवराज सिंह और वसुंधरा एवं रमन सिंह जैसे पुराने कद्दावर नेताओ को एक तरफ कर बिल्कुल नये चेहरों को अवसर देना एक अत्यंत हिम्मत भरा और सख्त निर्णय रहा होगा।
वैसे वर्तमान नेतृत्व ने ऐसे निर्णय की परंपरा अपने पहले
सत्र से ही डाल दी थी। जब 2014 मे आडवाणी जी और जोशी जी जैसे नेताओ को दर किनार किया गया था। उत्तर प्रदेश मे योगी जी हो या असम में हेमंत बिस्वा, सभी जगह बिल्कुल चौंका देने वाले नाम राज्य की कमान संभालते दिखे।
कई जगह ये प्रयोग निष्फल भी हुए जैसे करनातक मे बोम्मै या हिमाचल मे जयराम ठाकुर वाला प्रयोग रहा।
एक बात निश्चित है मोदी जी और भाजपा कम से कम 15 वर्ष की योजना बना कर कार्य कर रहे है। और उसी योजना के अनुसार नये नेतृत्व तैयार किये जा रहे है। तमिल नाडु मे अन्ना मलाइ और महा राष्ट्र में देवेंद्र इसी की कड़ी है। उसी हिसाब से हरियाणा मे खट्टर जी की विदाई तय है।
बिहार, गुजरात, बंगाल, इत्यादि राज्यों में आगामी वर्षों मे निश्चित रूप से नये भाजपा नेतृत्व को देखा जा सकेगा और ये भी निश्चित मानिये मोदी जी ने अपना उतराधिकारी भी तय कर रखा होगा।