मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हलाल सर्टिफिकेशन देने वाली 9 कंपनियों पर लखनऊ में एफआईआर दर्ज कराई गई है। ये शिकायत शैलेंद्र शर्मा ने अज्ञात कंपनियों पर करवाई है। इनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 120 b/ 153A/ 298/ 384 /420 /467/ 468 /471/ 505 के तहत केस दर्ज हुआ है।
एफआईआर में हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुम्बई, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र मुम्बई आदि का नाम है। इन संस्थाओं पर आरोप है कि ये एक मजहब के नाम पर कुछ उत्पादों पर हलाल प्रमाणपत्र दे रहे हैं जबकि ये देने का उनका अधिकार नहीं है। खान-पान के उत्पादों की गुणवत्ता आदि के प्रमाण पत्र के लिए एफएसएसएआई व आईएसआई जैसी संस्थाओं को अधिकृत किया गया है।
शिकायतकर्ता ने आशंका जताई है कि इन सबके पीछे आपराधिक षड्यंत्र वजह हो सकती है। जहाँ हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर इकट्ठा हो रही अवैध कमाई से आतंकवादी संगठन व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को फंडिंग की जा रही हैं। या फिर इसके जरिए उन कंपनियों को वित्तीय नुकसान पहुँचाने का प्रयास हो रहा है जो ऐसे हलाल सर्टिफिकेशन के साथ सामान नहीं बेचतीं।
हलाल क्या होता है?
बता दें कि इस्लाम मजहब के अनुसार, हलाल का मतलब जायज होता है। खाद्य व सौंदर्य उत्पाद पर जब हलाल सर्टिफाइड लिखा जाता है तो उसका अर्थ होता है कि वो उत्पाद मुस्लिमों के इस्तेमाल योग्य है क्योंकि उसमें ऐसा कुछ नहीं डाला गया है जो उनके मजहब में हराम है।
इस्लामी देशों में कोई भी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करने के लिए ये हलाल सर्टिफिकेशन जरूरी होता है। हालाँकि भारत में शाकाहारी वस्तुओं पर इसका प्रयोग क्यों किया जा रहा, ये बात अब तक नहीं समझ आई है। पिछले दिनों भारतीय रेलवे में यात्रा करते वक्त एक यात्री ने इस पर सवाल खड़ा किया था कि उसकी चाय के पैकेट पर हलाल क्यों लिखा है। इस घटना की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, उसी के बाद ये पूरा मुद्दा संज्ञान में आया।