VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 7 श्लोक 28
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*🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५*
*🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०*
*⛅ 🚩तिथि - तृतीया दोपहर 02:24 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅दिनांक - 30 नवम्बर 2023*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅नक्षत्र - आर्द्रा दोपहर 03:01 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग - शुभ रात्रि 08:15 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:49 से 03:11 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:03*
*⛅सूर्यास्त - 05:53*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:18 से 06:10 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:02 से 12:55 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -संकष्टी चतुर्थी*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸संकष्ट चतुर्थी - 30 नवम्बर 2023🔸*
*🔹संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।*
*🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।*
*🔹अमृत – औषधि दालचीनी🔹*
*🔸दालचीनी उष्ण, पाचक, स्फूर्तिदायक, रक्तशोधक, वीर्यवर्धक व मूत्रल है । यह वायु व कफ का शमन कर उनसे उत्पन्न होनेवाले अनेक रोगों को दूर करती है ।*
*🔸यह श्वेत रक्तकणों की वृद्धि कर रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है । बवासीर, कृमि, खुजली, राजयक्ष्मा ( टी,बी,), इन्फ्लूएंजा ( एक प्रकार का शीतप्रधान संक्रामक ज्वर), मूत्राशय के रोग, टायफायड, ह्रदयरोग, कैन्सर, पेट के रोग आदि में यह लाभकारी है । संक्रामक बीमारियों की यह विशेष औषधि है ।*
*🔹दालचीनी के कुछ प्रयोग🔹*
*🔸१] पेट के रोग व सर्दी – खाँसी : १ ग्राम ( एक चने जितनी मात्रा ) दालचीनी चूर्ण में १ चम्मच शहद मिलाकर दिन में १ – २ बार चाटने से मंदाग्नि, अजीर्ण, पेट की वायु, संग्रहणी रोग, अफरा और सर्दी – खाँसी में लाभ होता है ।*
*🔸२] ह्रदयरोग : एक ग्राम दालचीनी चूर्ण २०० मि.ली. पानी में धीमी आँच पर उबालें । १०० मि.ली. पानी शेष रहने पर उसे छानकर पी लें । इसे रोज सुबह लेने से कोलेस्ट्राँल की अतिरिक्त मात्रा घटती हैं । गर्म प्रकृतिवाले लोग एवं ग्रीष्म ऋतू में इसके पानी में दूध मिलाकर उपयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से रक्त की शुद्धि होती है एवं ह्रदय को बल मिलता है ।*
*🔸३] स्वरभंग, खाँसी व मुँह की बदबू : दालचीनी का छोटा-सा टुकड़ा चूसने से स्वरभंग ( गला बैठना ) की विकृति नष्ट होती है व आवास खुलती है । इससे खाँसी का प्रकोप शांत होता है, मुँह की बदबू दूर होती है, मसूड़े मजबूत बनते हैं और तोतलेपन में भी लाभ होता है ।*
*🔹सावधानियाँ : गर्भवती महिलाओं के लिए दालचीनी लेना निषिद्ध है । इसकी अधिक मात्रा लेने से पित्त ( उष्ण ) प्रक्रुतिवालों को सिरदर्द होता है । अत्यधिक मात्रा में, रात को या दीर्घकाल तक इसका सेवन करना हानिकारक है ।*
*🔹गुरुवार विशेष 🔹*
*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*
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