एक दिन राधा जी सखियों संग जमुना किनारे बैठी सत्संग कर रही थीं , अचानक एक सखी की नजर उनके पैर पर चली गई, पैर में घाव से हलका हलका खून रिस रहा था, सबने चोंक कर पूछा"-यह चोट कैसे लगी राधे जू,,,बताइए ,जल्दी से बताइए।
राधा जी ने बहुत टालना चाहा,, पर इंसान प्रवृत्ति है आप जितना बात टालना चाहेंगें..लोग उतना ही जानना चाहेंगें!!
राधा जी ने कहा- ये"एक पुराना घाव है,,
सखी बोलीं-पुराना कैसे राधे जू "इसमें तो खून निकल रहा हैं,,"पुराना है तो अब तक सूखा क्यों नहीं..कैसे लगा ये घाव???
राधा जी ने कहा- सखियों एक दिन खेल-खेल में मेने कन्हैया" की
बांसुरी छीन ली,, बांसुरी की छीना झपटी में उनके पैर का नाखून लग गया,, यह घाव उसी चोट से लगा..
गोपियों ने पूछा, "कन्हैया को मथुरा गए तो कई बरस हो गए हैं,, ये घाव अब तक सूखा क्यों नहीं है राधे जू, बोलो ????
राधा जी बोली," सूखता तो तब ना जब "मैं" सूखने देती.
मैं रोज इसे कुरेदकर हरा कर देती हुं,, सखियां तो चोंकी, ऐसा क्यों करती हो राधे!
राधे जी ने कहा वो इसलिए सखिओ....कन्हैया रोज सपने मे आकर इस जख्म का उपचार करते हैं,, उपचार के लिये ही सही "कन्हैया" मेरे सपनों में आते हैं,,, अगर घाव सूख गया तो क्या पता वो सपनो में आना ही छोड़ दें...
सखियों की आंखों से प्रेमाश्रु की धारा बहने लगी जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी
"ऐसा प्रेम था हमारे प्रेमाधार श्री राधे कृष्ण का...
राधे राधे......... बोलिए हमारे प्राणाधार श्री राधे कृष्ण की जय जय।।
राधे राधे
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