* सनातन संस्कृति व परंपराओं में किसी भी पवित्र मंत्रोच्चार के बाद, "ॐ शांति" शब्द को तीन बार दोहराया जाता है. शांति का आवाहन करने के लिए हम प्रार्थना करते हैं. प्रार्थना से शोक और दुःख समाप्त होते हैं. ऐसी सब प्रार्थनाएं तीन बार शांति कह कर समाप्त की जाती है।।
*🔹लेकिन आखिर तीन बार ही क्यों.?*
सनातन धर्म की प्रत्येक मान्यता एवं परपंरा के पीछे कोई कारण छुपा होता है, और इसका भी एक कारण है कि मंत्रोच्चार के बाद शांति शब्द को तीन बार क्यों दोहराया जाता है. इसके पीछे सबसे बड़ा और गहन कारण है,
*"त्रिवरम सत्यमं"*
ऐसी मान्यता है कि "त्रिवरम सत्यमं "अर्थात तीन बार कहने से कोई बात सत्य हो जाती हैं..शायद यही कारण है कि हम अपनी बात पर बल देने के लिए भी उसे तीन बार दोहराते हैं.,
प्राचीन काल में लोग मानते थे कि जिस बात को तीन बार कहा जाए तो वह सच हो जाती है. यानी 'त्रिवरम् सत्यमं'।।
*"ऊं शांति, ऊं शांति, ऊं शांति" बोलने के पीछे दूसरा कारण को लेकर कहा गया है कि ऐसा करने से तीन प्रकार से उत्पन्न बाधाओं में शांति मिलती है-:*
*👉दैविक-:*
दैवीय आपदा जैसे बाढ़, भूकंप, तूफान आदि की शांति के लिए ऊं शांति बोलते हैं जिससे माना जाता है कि शांति मिलती है.आधिदैविक - उन अदृश्य , दैवी शक्तिओ के कारण जिन पर हमारा बहुत कम और बिल्कुल नियंत्रण नहीं होता. जैसे भूकंप , बाढ़ , ज्वालामुखी इत्यादि..।
*👉भौतिक-:*
भौतिक समस्याओं जैसे दुर्घटना, अपराध, मानवीय संपर्क आदि बाधाओं के लिए 'ऊं शांति' बोलते हैं जिससे माना जाता है कि शांति मिलती है।
हमारे आस - पास के कुछ ज्ञात कारणों से जैसे दुर्घटना , मानवीय संपर्क , प्रदूषण, अपराध इत्यादि शांत होते हैं।
*👉आध्यात्मिक बाधाएं-:*
ऐसी बाधाओं में क्रोध, निराशा, भय आदि के लिए ऊं शांति बोलते हैं जिससे शांति मिलती है.हमारी शारीरिक और मानसिक समस्याएं जैसे रोग , क्रोध , निराशा आदि का निवारण होता है।।
* जब हम मंत्रोच्चार कर किसी शब्द को तीन बार बोलते हैं, तो हम ईश्वर से सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं कि कम से कम किसी विशेष कार्य के उत्तरदायित्व निभाते वक़्त या हमारे रोजमर्रा के काम काज में यह तीन तरीके की बाधाएं उत्पन्न न हो।
* अतः तीन बार शांति का उच्चारण किया जाता हैं. पहली बार उच्च स्वर में दैवीय शक्ति को संबोधित किया जाता है. दूसरी बार कुछ धीमे स्वर में अपने आस-पास के वातावरण और व्यक्तियों को संबोधित किया जाता है और तीसरी बार बिलकुल धीमे स्वर में अपने आपको संबोधित किया जाता है।
* हमारी सनातन संस्कृति पूरी तरह विज्ञान पर आधारित है, इसमें अन्यथा कुछ नहीं है..,
प्रत्येक मंत्र के पीछे कुछ रहस्य है "ॐ शांति शांति शांति" तीन बार ही बोलना चाहिए, यदि आप एक बार या दो बार बोलते हैं तो गलत बोलते हैं, और गलत क्रिया करने से उसके परिणाम भी अच्छे नहीं आते, अतः मंत्रादि क्रियाएं शास्त्र के अनुरूप ही होनी चाहिए।।
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