VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 6 श्लोक 45
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*🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५*
*🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०*
*⛅ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 10:22 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅दिनांक - 30 अक्टूबर 2023*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅नक्षत्र - कृतिका 31 अक्टूबर प्रातः 04:01 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - व्यतिपात शाम 05:33 तक तत्पश्चात वरियान*
*⛅राहु काल - सुबह 08:08 से 09:33 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:43*
*⛅सूर्यास्त - 06:03*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:02 से 05:53 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:58 से 12:49 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - व्यतिपात योग*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹व्यतिपात योग🔹*
*🔸समय अवधि : 29 अक्टूबर रात्रि 08:01 से 30 अक्टूबर शाम 05:33 तक*
*🔸व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । - वराह पुराण*
*🌹कार्तिक मास की महिमा एवं नियम पालन🌹*
*(कार्तिक मास व्रत : 28 अक्टूबर से 27 नवम्बर 2023)*
*🔸कार्तिक मास में वर्जित🔸*
*🔸ब्रह्माजी ने नारदजी को कहा : ‘कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए । जिन फलों में बहुत सारे बीज (जैसे - अमरूद, सीताफल) हों उनका भी त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें ।*’
*🔸कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी*
*प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है । सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पापनाशक है । भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसीबन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है ।*
*🔸भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए । ब्रह्माजी नारदजी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महिनों तक भी नहीं किया जा सकता ।’*
*🔸श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है । 'ॐ नमो नारायणाय '। इस महामंत्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है । कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए ।*
*🔸प्रात: उठकर करदर्शन करें । ‘पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है ।*
*🔸सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें🔸*
*🔸जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करनेवाला हो जाता है । पूरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभुप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं ।*
*🔸३ दिन में पूरे कार्तिक मास के पुण्यों की प्राप्ति🔸*
*🔸कार्तिक मास के सभी दिन अगर कोई प्रात: स्नान नहीं कर पाये तो उसे कार्तिक मास के अंतिम ३ दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को 'ॐकार' का जप करते हुए सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से महिनेभर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है ।*
*🔸कार्तिक मास में दीपदान का महत्व है।🔸*
*🌹जो मनुष्य कार्तिक मास में संध्या के समय भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीप जलाता है वह अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य एवं संपत्ति को प्राप्त करता है ।*
*🌹तुलसी वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है । तुलसी के पौधे को सुबह आधा-एक गिलास पानी देना सवा मासा (लगभग सवा ग्राम) स्वर्णदान करने का फल देता है ।*
*🔹भूमि पर अथवा तो गद्दा हटाकर कड़क तख्ते पर सादा कम्बल बिछाकर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन – ये कार्तिक मास में करणीय नियम बताये गये हैं, जिससे जीवात्मा का उद्धार होता है ।*
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