VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ५ कर्मसन्यास योग श्लोक 23
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - एकादशी रात्रि 09:28 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅दिनांक - 10 सितम्बर 2023
⛅दिन - रविवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - भाद्रपद
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पुनर्वसु शाम 05:06 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅योग - वरियान रात्रि 11:20 तक तत्पश्चात परिघ
⛅राहु काल - शाम 05:16 से दोपहर 06:49 तक
⛅सूर्योदय - 06:24
⛅सूर्यास्त - 06:49
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 01:00 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - अजा एकादशी, रविपुष्यामृत योग (शाम 05:06 से 11 सितम्बर सूर्योदय तक)
⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹रविपुष्यामृत योग - 10 सितम्बर 2023
🔸पुण्यकाल : शाम 05:06 से 11 सितम्बर सूर्योदय तक ।
🌹 पुष्य नक्षत्र का रविवार के साथ का संयोग "रविपुष्यामृत योग" कहलाता है । सर्वसिद्धिकरः पुष्यः । ' इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है ।
🌹 यह योग मंत्रसिद्धि और औषधि - प्रयोग के लिए विशेष फलदायी है ।
🌹 इस योग में किया गया जप-ध्यान, दान-पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं । (शिव पुराण)
🌹अजा एकादशी - 10 सितम्बर 2023
🔸एकादशी तिथि 09 सितम्बर रात्रि 07:17 बजे से प्रारम्भ 10 सितम्बर रात्रि 09:28 बजे तक ।
🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹
🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।
🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।
🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।
एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।
🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।
🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।
🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।
🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।
🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।
🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।
🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।
🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।
🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।
🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।
🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।
🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।
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