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हज हाउस का निर्माण धार्मिक गतिविधि नहीं
समस्त हिंदू अघाड़ी के नेता मिलिंद एकबोटे के वकील कपिल राठौड़ ने अपने मुवक्किल के पक्ष में दलील दी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में ‘जमीन के इस्तेमाल में बदलाव’ हुआ है, क्योंकि यह जगह पुणे के कोंढवा क्षेत्र के और उसके आसपास के लोगों को बुनियादी सुविधाएँ देने के लिए आरक्षित था। उन्होंने तर्क दिया कि हज हाउस के निर्माण के लिए जमीन का इस्तेमाल बदल दिया गया।
एडवोकेट कपिल राठौड़ ने कहा कि हज हाउस का निर्माण ‘धार्मिक गतिविधि’ के तहत आता है और यह वर्तमान परिदृश्य में स्वीकार्य नहीं है। एडवोकेट राठौड़ ने कोर्ट से कहा, “केवल एक समुदाय को फायदा क्यों मिले, जबकि पंढरपुर में लाखों श्रद्धालु आते है। इन श्रद्धालुओं के लिए कुछ नहीं किया गया।”
वहीं, पुणे नगर निगम की ओर से पेश वकील अभिजीत कुलकर्णी ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा कि जमीन का इस्तेमाल नहीं बदला गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न समुदाय के लोगों को उनकी सांस्कृतिक और सामुदायिक गतिविधियों के लिए यहाँ जगह मिलती है।
इस दौरान वकील कुलकर्णी ने कोर्ट का ध्यान हिंदू नेता के वकील राठौड़ की इस दलील पर दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा कि हज हाउस की इमारत की दो मंजिलों का निर्माण पहले ही किया जा चुका था। इसके बाद कोर्ट ने उनसे याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल करने को कहा।
बेंच ने वकील कपिल राठौड़ से कहा कि वह सिर्फ हज हाउस मामले पर ध्यान केंद्रित करें। बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने उनसे सवाल किया, “जमीन के इस्तेमाल में बदलाव कहाँ हुआ है? यदि आप मंदिर बनाएँगे तो क्या इसका इस्तेमाल हर कोई करेगा? कृपया पहले एक मामला बनाएँ और फिर बताएँ कि हज हाउस का निर्माण नहीं किया जा सकता है।”
बेंच ने कहा, “आपने कहा कि जमीन के इस्तेमाल में बदलाव हुआ है। अपनी दलीलों में से कोई एक पैराग्राफ ऐसा बताएँ। इसमें कहा गया है कि यह ‘कानून की स्थापित स्थिति’ थी कि धार्मिक गतिविधियों में राज्य की संलिप्तता की अनुमति नहीं है।”