फ़िल्म #OMG2 समीक्षा: अक्षय कुमार फिल्मों में ओवरएक्टिंग करते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने पूरी की पूरी दुकान ही खोल डाली है बेहूदा एक्टिंग की। एंट्री के बाद दूसरे ही दृश्य में वो एक पुलिस थाने में हंगामा करते नजर आते हैं और खून की उल्टी हो जाए इस तरह का अभिनय है उनका। सेंसर बोर्ड ने आदेश दिया कि उनका किरदार शिव का न हो, जिसके बाद इसे शिवगण का बना दिया गया। फिर भी, अस्पताल के एक दृश्य में उन्हें भगवान शिव के रूप में दिखाया गया है। क्या प्रसून जोशी को ये नहीं दिखा? क्या सेंसर बोर्ड सो रहा है?
शिव का गण जो शिवलिंग को अश्लीलता से जोड़ता है। हस्तमैथुन की पैरवी करता है। केवल सेक्स की बातें करता है। काम और यौन संबंधों पर जो प्राचीन पुस्तकें हैं, वो रखता है और पढ़ने की सलाह देता है। फ़िल्म का कहना है कि गुरुकुलों में भी सेक्स ही पढ़ाया जाता था। #AkshayKumar की इस फ़िल्म में बड़ी चालाकी से इस्लाम और ईसाई मजहब को छिपा लिया गया है और सारा का सारा आक्षेप हिंदुओं पर मढ़ दिया गया है।
शिव वाला किरदार जो शराबी भी है। नशे में रहता है।
- 'हस्तमैथुन सही है' - ये साबित करने के लिए भगवान शिव को हस्तक्षेप करना पड़ता है। आप सोचिए, शिव की जगह इस्लाम या ईसाई मजहब वाले जिन्हें मानते हैं उन्हें रखा जाता तो क्या होता।
- पंकज त्रिपाठी को एक शिवभक्त का किरदार दिया गया है और सारा प्रोपेगंडा इसी किरदार के सहारे रचा गया है। फ़िल्म में सब्सव कच्चा किरदार एक मुस्लिम का है जो बच्चा है।
- उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के पुजारी को विलेन बनाया गया है। वो गुंडा उद्योगपति की तरफ से समझौते कराता है। महाकाल मंदिर के पुजारी का साला अपनी ही छोटी सी भांजी का यौन शोषण करता है।
- अक्षय कुमार ने ओवरएक्टिंग की है। शिव का किरदार करने को मना किया था सेंसर बोर्ड ने, फिर भी वो शिव के रूप में दिखते हैं।
- श्रीराम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को जानबूझकर विलेन का रोल दिया गया है। उनकी छवि को धूमिल करने और फ़िल्म को आलोचना से बचाने के लिए ऐसा किया गया।
साभार ट्विटर
Anupam K.Singh