GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ४ ज्ञानकर्म सन्यास योग श्लोक 38
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श्रावण कृष्ण चतुर्दशी , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी दोपहर 12:42 तक तत्पश्चात अमावस्या
⛅दिनांक - 15 अगस्त 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - अधिक श्रावण
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पुष्य दोपहर 01:59 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅योग - व्यतिपात शाम 05:33 तक तत्पश्चात वरियान
⛅राहु काल - शाम 03:58 से 05:35 तक
⛅सूर्योदय - 06:16
⛅सूर्यास्त - 07:12
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:32 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:06 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या, 76वाँ स्वतंत्रता दिवस, योगी अरविंद जयंती (दि.अ.)
⛅विशेष - चतुर्दशी एवं अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔹श्रावण अमावस्या🔹
🔸15 अगस्त दोपहर 12:42 से 16 अगस्त दोपहर 03:07 तक अमावस्या ।
🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹
🔹घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।
🔹कुछ देर ‘ॐकार ‘ का कीर्तन करें-करायें । ऐसा करने से समस्त प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है तथा ऊपरी एवं बुरी शक्तियों का प्रभाव भी दूर हो जाता है ।
🔹गिलोय औषधीय प्रयोग🔹
🔸सर्व रोगों से रक्षा करनेवाली गिलोय के फायदे जानकर हैरान रह जायेंगे आप । गिलोय का प्रयोग क्षय, प्रमेह, त्वचाविकार, ज्वर, पांडु व लीवर के रोगों में विशेष लाभदायी है । गिलोय का चूर्ण शहद के साथ लेने से ह्रदयरोगियों को फायदा होता है ।
🔸घी (10 से 15 ग्राम अथार्त एक चम्मच) मिलाकर लेने से वायु शमन होता है । शक्कर (10 ग्राम) के साथ प्रयोग करने से पित्त का तथा शहद (10 से 15 ग्राम) के साथ प्रयोग करने से कफ का शमन होता है ।
🔹गिलोय के उपयोग🔹
🔸गिलोय के रस पीने से मलेरिया तथा पुराना बुखार दूर होता है ।
🔸चुटकी भर दालचीनी व लौंग के साथ लेने से मुद्दती बुखार दूर होता है ।
🔸बुखार के बाद रहने रहनेवाली कमजोरी में गिलोय का रस पौष्टिक एवं शक्तिप्रदायक है ।
🔸2 से 3 ग्राम अधकुटी सोंठ व 25 से 30 ग्राम कूटी हुई ताजी गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से संधिवात तथा आमवात दूर हता है ।
🔸गिलोय के रस में मिश्री मिलाकर पिने से पीलिया में लाभ होता है ।
🔸गिलोय का रस दीर्घकाल तक लेते रहने से कायमी कब्जी के रोगी को लाभ होता है ।
🔸गिलोय के चूर्ण अथवा रस का नियमित उपयोग डायबिटीजवालों के लिए लाभदायी है । हररोज इंजेक्शन तथा टिकियों कि आवश्यकता नहीं पड़ेगी । उनके कुप्रभावों से रोगी बच जायेगा ।
🔸माता को गिलोय का चूर्ण अथवा रस देने से दूध बढ़ता है व दूध के दोष दूर होते है । माता के दूषित दूध के कारण होनेवाले रोगों से बालक कि रक्षा होती है ।
🔸गिलोय उत्कृष्ट मेध्य अर्थात बुद्धिवर्धक रसायन है । इसके नियमित सेवन से दीर्घायुष्य, चिरयौवन व कुशाग्र बुद्धि कि प्राप्ति होती है ।
🔸सिद्ध योगी गोरखनाथजी कहते है : कुंडलिनी जागरण के समय शरीर में गर्मी महसूस हो तो गिलोय के रस में शहद ठीक प्रकार से मिश्रित करके तृप्तिपूर्वक लिया जाय तो मणिपुर चक्र, नाभि चक्र का शोधन सरलता से हो जाता है ।
🔹चूर्ण की मात्रा : 2 से 3 ग्राम । रस की मात्रा : 20 से 30 मि.लि. ।
🔹नौकरी-धंधे के लिये🔹
👉 नौकरी-धंधे के लिये जाते हैं, सफलता नहीं मिलती तो इक्कीस बार श्रीमदभगवदगीता का अंतिम श्लोक बोलकर फिर घर से निकलें तो सफलता मिलेगी ।
श्लोकः यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिमम्।।
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