आप एक दिन में लगभग 22000 बार सांस लेते हैं। इसका अर्थ यह है कि अगर आप 60 वर्ष जीते हैं तो जीवन के अंत तक आप 48 करोड़ 18 लाख बार सांस ले चुके होंगे। यही नहीं, संसार में सभी समुद्र तटों पर मौजूद रेत कणों की संख्या 10 अरब-अरब है, आपकी हर सांस के साथ दस हजार-अरब-अरब परमाणु आपके फेफड़ों में जाते हैं, तो वहीं दृश्य ब्रह्मांड में सितारों की संख्या दस लाख- अरब- अरब है, और अगर आप एक स्वस्थ वयस्क हैं, तो आपके खुद के शरीर में परमाणुओं की संख्या 10^27 यानी दस के आगे 27 जीरो है। और, आपके इस लाइन को पढ़ने तक बिगबैंग से लेकर अब तक 435196800000000000 सेकण्ड्स बीत चुके हैं।
Numbers यानी संख्याएं... अपने आसपास की दुनिया को बयां करने के लिए अक्सर हम संख्याओं का सहारा लेते हैं। पर ब्रह्मांड की विराटता के समक्ष हमारे द्वारा ईजाद की गई बड़ी से बड़ी संख्या बौनी साबित होती नजर आती है। पर हार मानने की भी क्या जरूरत है। आज पड़ताल करते हैं यह जानने की... कि... ब्रह्मांड में सबसे बड़ी संभावित संख्या अथवा नम्बर क्या है।
अब आप कहेंगे कि ये तो बेतुका प्रश्न है। कोई भी संख्या सोचो और उसमें 1 जोड़ कर उससे बड़ी से संख्या बन जाएगी तो इस प्रश्न का उत्तर तो अनन्तकाल में भी देना मुश्किल है। अब बात तो सही ही है तो अगर हमें इस विमर्श में सार्थकता चाहिए और हम काल्पनिकता से परे भौतिक रूप से संभव एक बड़ी संख्या चाहते हैं तो इस संबंध में कुछ अहर्ताएं हमें सुनिश्चित करनी ही होंगी।
तो चलिए, एक अहर्ता मैं जोड़ देता हूँ। हम लिखना शुरू करते हैं और जहां लिखने के लिए आवश्यक पदार्थ खत्म हो जाएगा, वहीं संख्या का अंत भी मान लिया जाएगा और ज्यादा से ज्यादा बड़ी संख्या तक पहुंचने के लिए हम न्यूनतम पदार्थ का इस्तेमाल करेंगे अर्थात, एक क्वार्क अथवा इलेक्ट्रान पर एक संख्या ही लिखी जाएगी। इनसे से भी भला छोटा क्या होगा दुनिया में?
दृश्य ब्रह्मांड में मूलभूत कणों की संख्या 10^80 यानी 10 के आगे 80 शून्य है। तो हमें हमारा जवाब मिल गया। यही वो अधिकतम संख्या है, जो भौतिक रूप से लिखी जा सकती है। पर एक मिनट, वैज्ञानिक तो बताते हैं कि ब्रह्मांड में प्रति वर्ग मीटर में परमाणुओं की संख्या मात्र 5 या 6 ही होती है। पर शेष बचा रिक्त स्थान, यानी ब्रह्मांड का मूल ढांचा स्पेसटाइम भी तो एक भौतिक चीज ही तो है, तो क्यों न स्पेसटाइम पर अपनी संख्याओं की गिनती को बढ़ाया जाए।
विचार उत्तम है और स्पेसटाइम की खासियत यह है कि ब्रह्मांड में आकार की सबसे छोटी यूनिट मौजूद है, जिसे प्लांक दूरी कहते हैं और इसका मान 10^-35 मीटर है, और इससे हमें न्यूनतम संभावित आयतन भी प्राप्त हो जाएगा। तो हिसाब बेहद सरल है, ब्रह्मांड में जितने प्लांक आयतन, उतनी ही हमारी गिनती लिखने की सीमा होगी।
मैथेमैटिकली, इस तरह चला जाये तो हमारी गिनती 10^186 तक पहुंच कर खत्म हो जाएगी। जी हां, 10 के आगे 186 शून्य, यह भौतिक रूप से ब्रह्मांड में लिखी जा सकने वाली सबसे बड़ी संख्या होगी।
पर एक मिनट, विमर्श को और आगे बढाते हैं। लिखने की लिमिट तो समझ आ गयी, पर सोचने का क्या? अगर मैं सिर्फ दिमाग में गिनती करना चाहूं तो क्या गिनती का अंत कभी होगा, अथवा हमारी गिनती अनन्तकाल तक जारी रहेगी?
इसका उत्तर बेहद सरल है, सोचने के लिए भी ऊर्जा चाहिए होती है और चूंकि एक गूगल वर्ष यानी 10^100 वर्षों बाद ब्रह्मांड में ऊर्जा का स्तर हर जगह एक समान होगा। कुछ भी करने या सोचने लायक ऊर्जा भी कहीं भी उपलब्ध ही नहीं होगी, तो उस हालात में कहा जा सकता है कि सोची गयी संख्या की भी एक मैक्सिमम लिमिट तय है।
पर आप सोचने का कष्ट क्यों उठाते हैं। इंसानी दिमाग बड़ी जल्दी थक जाता है। तो क्यों न समूचे ब्रह्मांड का सारा द्रव्यमान उठा कर एक सुपर कंप्यूटर बनाते हैं, जिसका एकमात्र काम ब्रह्मांड के अंत तक सिर्फ गिनती करना होगा। ये थोड़ा रोचक होने वाला है।
सैद्धांतिक रूप से एक कंप्यूटर की मैक्सिमम पॉसिबल प्रोसेसिंग स्पीड 1.36 × 10^50 बिट्स/सेकंड/किलोग्राम है। इससे तेज गति का कंप्यूटर बना पाना ब्रह्मांड के सैद्धान्तिक नियमों के कारण संभव नहीं।
अब दृश्य ब्रह्मांड का समस्त द्रव्यमान 3.4 × 10^60 किलोग्राम है। इतने द्रव्यमान पर हमारा सुपर कंप्यूटर एक सेकंड में 4.6 × 10^110 बिट्स की प्रोसेसिंग में सक्षम होगा।
अब अगर माना जाए कि एक संख्या को सोचने के लिए लगभग 800 बिट्स की प्रोसेसिंग क्षमता इस्तेमाल होगी और एक गूगल वर्ष में उपलब्ध सेकेंडों की संख्या 3.154 × 10^116 है। इन सब आंकड़ों के साथ गणना की जाए तो हमें पता चलता है कि सृष्टि के आदि से लेकर अंत तक लगातार गिनती करता हमारा सुपर कंप्यूटर ब्रह्मांड की मृत्यु के समय जिस संख्या पर होगा...
वो संख्या है : 1.456 × 10^227
जी हाँ, 10 के बाद 227 शून्य