मध्य प्रदेश में 2 ऐसे मामले हुए जो अमानवीय है और इसमें से 1 मामले पर जोर शोर से आवाजें उठी और सरकार तथा प्रशासन ने भी बड़ी मुस्तैदी से कार्यवाही की जिसकी सराहना होनी चाहिए, क्योंकि एक बात तो पूर्णतः सत्य है को अपराधियों पर कठोर कार्यवाही नहीं होगी तो अपराध कम नहीं होंगे।
लेकिन हमारा प्रश्न ये हैं की जब 2 अलग अलग और ऐसे ही या ये कहें इससे भी अधिक दरिंदगी भरा मामला और हुवा तो हंगामा और कार्यवाही केवल एक मामले में क्यों?
ये हैं 2 मामले
1 - 30 जून को MP के ही शिवपुरी नरवर थानांतर्गत ग्राम बरखाड़ी में दो दलित युवकों को साथ मुस्लिमों ने पीटा, मुंह पर कालिख पोती, जूतों की माला पहनाकर उनका जुलूस निकाला और उन्हें "मैला खिलाया"
2 - MP के सीधी में जहां एक जनजातीय युवक के मुंह पर नशे में धुत्त परवेश शुक्ला पेशाब कर रहा है, जिसपर जमकर हंगामा हुवा मामले को जातिवादी रंग भी दिया गया, क्योंकि पीड़ित जनजातीय युवक है तो अपराधी सवर्ण है। इस मामले पर सरकार और प्रशासन ने भी त्वरित संज्ञान लिया और पहले NSA लगाया और अब रिपोर्ट के अनुशार उसके घर पर प्रशासन का बुलडोजर भी चला दिया गया।
अब सवाल ये उठता है की जब एक मामले में जहां मुंह पर पेशाब किया जाता है इसपर न्याय की मांग होती है और सरकार तथा प्रशासन तुरंत एक्शन में आकर कठोर कार्यवाही करती हैं तो आखिर दूसरे मामले में NSA और बुलडोजर की खबरें क्यों नहीं दिखाई देती?
क्या अपराधी मुस्लिम हैं इसलिए दलित हित चिंतक और बुद्धजीवी न्याय के लिए आवाज नहीं उठा रहे? और प्रशासन भी कोई कठोर कार्यवाही करता नजर नहीं आ रहा जबकि यहां पीड़ित 1 नहीं 2 हैं।