दरअसल, भीषण गर्मी में बिजली कटौती से परेशान कटिहार के लोग बिजली विभाग के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे। बिजली कटौती के खिलाफ किए जा रहे प्रदर्शन के दौरान लोगों ने सड़क जाम कर रखा था। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर फायरिंग की, जिसमें 5 लोगों को गोली लगी है। इसमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। पुलिस ने एक की मौत की पुष्टि की है। मृतक का नाम बासल गाँव निवासी 34 वर्षीय खुर्शीद आलम (34) है। वहीं, बारसोई के चापाखोड़ पंचायत निवासी नियाज आलम (32) की हालत नाजुक है।
कटिहार जिले के बारसोई अनुमंडल में बुधवार (26 जुलाई 2023) की दोपहर स्थानीय लोग बिजली विभाग के दफ्तर का घेराव करने पहुँचे। इस दौरान लोगों ने प्राणपुर के बस्तौल चौक और बारसोई प्रखंड मुख्यालय का मेन रोड जाम कर दिया और प्रदर्शन किया।
मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रदर्शन स्थल पर पुलिस पहुँची। पुलिस को देखते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और वे आक्रोशित होकर पुलिस पर पथराव कर दिए। इसके बाद पुलिस ने उन पर फायरिंग कर दी। कहा जा रहा है कि इसी फायरिंग में खुर्शीद की मौत हुई है।
फायरिंग में मौत क बाद बिहार की राजनीति गर्मा गई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद जयहिंद ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तुलना अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जालियाँवाला बाग नरसंहार को अंजाम देने वाले जनरल डायर से की।
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शहजाद ने कहा, “बिहार के जनरल डायर ने कटिहार में बिजली आपूर्ति की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ चलवा दीं। एक की मौत, 2 गंभीर रूप से घायल हैं। बिहार में युवा, किसान, शिक्षक, आम आदमी… जो भी अपना अधिकार माँगता है, उसे लाठियाँ या गोली मिलती है।”
सीएम नीतीश कुमार को तानाशाह बताते हुए भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा, “हाल ही में एक भाजपा नेता को भी पीटा गया और उनकी मृत्यु हो गई! यह जनरल नीतीश डायर और उनकी तानाशाही सरकार का असली चेहरा है। यह लोकतंत्र का बचाव है या लोकतंत्र की हत्या? क्या यह I.N.D.I.A के लोकतंत्र का यही विचार है? बंगाल से बिहार तक – गोली, बम, विस्फोट?”
यहां हो सकता है गलती पुलिस की ना भी हो, लेकिन सरकार की तो है की जनता को बिजली के लिए उग्र प्रदर्शन करना पड़े। जनता अपनी मांगे तो रखेगी ही, वो सरकार का काम है उनकी मांगों का समाधान जल्द से जल्द करना, और यही बात तो ये राज्यों के नेता भी कहते हैं जब लोग केंद्र से मांग करते हुए बड़े बड़े प्रदर्शन करते हैं।