GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ४ ज्ञानकर्म सन्यास योग श्लोक ०९
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आज का पंचांग
मंगलवार १८/०७/२०२३
श्रावण शुक्ल १ , युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि 02:09 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅दिनांक - 18 जुलाई 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - श्रावण
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - पुष्य पूर्ण रात्रि तक
⛅योग - हर्षण सुबह 09:37 तक तत्पश्चात वज्र
⛅राहु काल - शाम 04:07 से 05:47 तक
⛅सूर्योदय - 06:04
⛅सूर्यास्त - 07:27
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:22 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:25 से 01:07 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - अधिक-श्रावण मास प्रारम्भ
⛅विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 घोर पातक से दिलाता मुक्ति अधिक – पुरुषोत्तम मास के व्रत 🌹
अधिक – पुरुषोत्तम मास 18 जुलाई से 16 अगस्त 2023
🔸पूरा मास व्रत रखने का विधान भविष्योत्तर पुराण आदि शास्त्रों में आता है । पूरा मास यह व्रत न सकें तो कुछ दिन रखें और कुछ दिन भी नहीं तो एकाध दिन तो इस मास में व्रत करें । इनसे पापों की निवृत्ति और पुण्य की प्राप्ति बतायी गयी है । परंतु उपवास वही लोग करें जो बहुत कमजोर नहीं हैं ।
🔸 सुबह उठकर भगवन्नाम-जप तथा भगवान के किसी भी स्वरूप का चिंतन-सुमिरन करें, फिर संकल्प करें : ‘आज के दिन मैं व्रत-उपवास रखूँगा । हे सच्चिदानंद ! मैं तुम्हारे नजदीक रहूँ, विकार व पाप-ताप के नजदीक न रहूँ । भोग के नजदीक नहीं, योगेश्वर के नजदीक रहूँ इसलिए मैं उपवास करता हूँ ।’ फिर नहा–धोकर भगवान का पूजन करें । यथाशक्ति दान पुण्य करें और भगवन्नाम जप करें । सादा-सूदा फलाहार आदि करें ।
🔸१० हजार वर्ष गंगा-स्नान करने से अथवा १२ वर्ष में आनेवाले सिंहस्थ कुम्भ में स्नान से जो पुण्य होता है वही पुण्य पुरुषोत्तम मास में प्रात:काल स्नान करने से हो जाता है ।
🔸जो पुरषोत्तम मास का फायदा नहीं लेता उसका दुःख-दारिद्र्य और शोक नहीं मिटता । यह मास शारीरिक-मानसिक आरोग्य और बौद्धिक विश्रांति देने में सहायता करेगा । भजन-ध्यान अधिक करके पुरुषोत्तमस्वरूप परमात्मा को पाने में यह मास मददरूप है ।
🌹 पुरुषोत्तम मास में क्या करें, क्या न करें ? 🌹
🔹अधिक मास में क्या करें✅
(१) आँवला और तिल के उबटन से स्नान पुण्यदायी और स्वास्थ्य व प्रसन्नता वर्धक है ।
(२) आँवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करना अधिक प्रसन्नता और स्वास्थ्य देता है ।
(३) भगवन्नाम-जप, कीर्तन, भगवद-स्मरण, ध्यान, दान, स्नान आदि तथा पुत्रजन्म के कृत्य, पितृमरण के श्राद्ध आदि एवं गर्भाधान, पुंसवन जैसे संस्कार किये जा सकते हैं ।
(४) दीपक-दान से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, दुख-शोकों का नाश होता है, वंशदीप बढ़ता है, ऊँचा सान्निध्य मिलता है, आयु बढ़ती है ।
(५) गीता के १५वें अध्याय का अर्थसहित प्रेमपूर्वक पाठ करना और गायों को घास व दाना दान करना चाहिए ।
(६) ‘देवी भागवत' के अनुसार यदि दान आदि का सामर्थ्य न हो तो संतों-महापुरुषों की सेवा (उनके दैवीकार्य में सहभागी होना) सर्वोत्तम है । इससे तीर्थस्नान, तप आदि के समान फल प्राप्त होता है ।
(७) इस मास में किये गये निष्काम कर्म कई गुना विशेष फल देते हैं ।
(८) भक्तिपूर्वक सदगुरु से अध्यात्म विद्या का श्रवण करने से ब्रह्महत्या जनित भयंकर पाप भी नष्ट हो जाते हैं तथा दिन-प्रतिदिन अश्वमेधयज्ञ का फल प्राप्त होता है । निष्काम भाव से यदि श्रवण किया जाय तो जीव मुक्त हो जाता है ।
(९) भूमिपर (चटाई, कम्बल, चादर आदि बिछाकर) शयन, पलाश की पत्तल पर भोजन करने और ब्रह्मचर्य व्रत पालनेवाले की पापनाशिनी ऊर्जा बढ़ती है तथा व्यक्तित्त्व में निखार आता है ।
🔹अधिक मास में क्या ना करें❌
(१) पुरुषोत्तम मास व चतुर्मास में नीच कर्मो का त्याग करना चाहिए ।
(२) इस मास में विवाह अथवा सकाम कर्म एवं सकाम व्रत वर्जित हैं । अत: कर्म संसारी कामनापूर्ति के लिए नहीं, ईश्वर के लिए करना ।
(३) मकान-दुकान नहीं बनाये जाते तथा पोखरे, बावड़ी, तालाब, कुएँ नहीं खुदवाये जाते हैं ।
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