नया मामला मप्र के झाबुआ जिले का है, जहां मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल परिसर के अंदर स्थित ज्योति भवन में जब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम पहुंची तो यह देखकर दंग रह गई कि कैसे नाबालिग बच्चियों को दूसरे राज्यों से लाकर यहां नन बनाया जा रहा है
शिक्षा के नाम पर हो रहे भयानक षड्यंत्रों को लेकर सरकार और प्रशासन को और अधिक सतर्क रहना चाहिए और षड्यंत्रकारियों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। साथ ही जनता , खासकर हिंदुओं को भी अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए अन्यथा उनके बच्चे अधर्म / विधर्मी बन जाएंगे जिसके बाद सिवा पछतावे के कुछ हाथ नहीं लगेगा
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बताया की उन्होंने इस कॉन्वेंट स्कूल में अनेकों गड़बड़ियां पाई, उन्हें स्कूल में 12 बार की बंदूक भी मिली जिसे उन्होंने जब्द कर पुलिस को सौंप दिया। अब इन सभी तमाम गंभीरताओं को देखते हुए राज्य बाल आयोग ने संस्था पर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर ली है। साथ ही आयोग ने तत्काल ही इन तीनों किशोरियों को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) झाबुआ के सुपुर्द कर दिया। जहां से उन्हें वन स्टाप सेंटर भेज दिया गया है।......
इस संपूर्ण मामले में अपनी प्रतिक्रिया डॉ. निवेदिता शर्मा ने भी दी । उन्होंने आयोग टीम की इस जांच को लेकर बताया कि प्रदेश में बाल संरक्षण आयोग जहां भी बालकों के संबंध में शिकायत मिलती है या उनके साथ कुछ गलत होने की जानकारी सामने आती है तब दोनों ही स्थिति में आयोग वहां पहुंचता है। अब तक कई शासकीय, निजि एवं अन्य अल्पसंख्यक सभी प्रकार के विद्यालयों, छात्रावासों में बाल आयोग का जाना हुआ। इन सभी में निरीक्षण के दौरान ध्यान में आया है कि अधिकांश अल्पसंख्यक प्रबंधकों द्वारा चलाए जा रहे शिक्षण संस्थानों में मतांतरण-धर्मांतरण हो रहा है। मुरैना, डबरा-ग्वालियर, डिंडौरी, मंडला, सागर, दमोह, शिवपुरी, समेत कई जिलों में जहां भी अब तक जाना हुआ, स्थितियां लगभग एक जैसी हैं। इनमें कई अल्पसंख्यक संस्थानों ने विद्यालय चलाने की मान्यता तक राज्य सरकार ने नहीं ली है, फिर भी ये कई वर्षों से बिना किसी अनुमति लिए और बिना किसी भय के संचालित होते पाए गए हैं।......
ये स्थिति हैं जब MP में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू है और आज है 10 वर्ष की जेल और 1 लाख रूपये जुर्माना। इस से इतना समझा जा सकता है की केवल कानून बनाने से काम होगा नहीं। कानून का ढंग अनुपालन हो और अभिभावक भी सावधान रहें