अहमादिया मुसलमानों के साथ अब इन्ही के कट्टरपंथी बंधु कट्टरता कर रहे हैं। पाकिस्तान में इनकी मस्जिद तोड़ दी जा रही है तो भारत में इन्हें इस्लाम से निष्कासित कर रहे हैं। जो लोग कहते हैं को मुसलमानों में भेदभाव नहीं होता उनके लिए ये आर्टिकल ज्ञान वर्धक है। एक बार और ध्यान दें की इनकी विनाश की कहानी तो चालू रहेगी, कभी हिंदू, कभी ईसाई पर निशाना होगा और फिर आपस में ही लड़ेंगे..
पहली खबर इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान के कराची से हैं जहां ड्रिघ रोड इलाके में शाह फैसल कॉलोनी में स्थित ‘बैत उल मुबारिक’ मस्जिद को तोड़ दिया गया है। इस मामले में जमात-ए-अहमदिया के प्रवक्ता आमिर महमूद ने कहा है कि दोपहर करीब 3:45 बजे एक दर्जन लोग मस्जिद में घुस आए। हमलवारों ने हथौड़ों से मीनार को तोड़ दिया और दीवारों पर विवादास्पद बातें लिख दीं। और ध्यान रहे ये पाकिस्तान में अहमादिय मुसलमानों की मस्जिदों पर हुवा पहला हमला नहीं अपितु ऐसे इसी वर्ष कुल 11 हमले हो चुके हैं
दूसरी खबर भारत से है जहां अहमदिय मुसलमानों को वक्फ बोर्ड द्वारा इस्लाम से निष्कासित करने का फतवा जारी किया गया तो जमीयत का कहना है की ये इस्लाम के शत्रु हैं... । यानी अहमदिया जो खुदको मुसलमान मानते हैं वो भी waqf बोर्ड, जमीयत आदि के अनुशार काफिर हैं।
कौन हैं अहमदिया मुस्लिम
पंजाब के लुधियाना जिले के कादियान गाँव में मिर्जा गुलाम अहमद ने साल 1889 में अहमदिया समुदाय की शुरुआत की। मिर्जा गुलाम अहमद खुद को पैगंबर मोहम्मद का अनुयायी और अल्लाह की ओर से चुना गया मसीहा बताते थे। मिर्जा गुलाम अहमद ने इस्लाम के अंदर पुनरुत्थान की शुरूआत की थी। इसे अहमदी आंदोलन और इससे जुड़े मुस्लिमों को अहमदिया बोला गया। अहमदिया मुस्लिम गुलाम अहमद को पैगंबर मोहम्मद के बाद का एक और पैगंबर या आखिरी पैगंबर मानते हैं। इसी कारण अन्य मुस्लिम उनका विरोध करते हैं। चूँकि गुलाम अहमद कादियान गाँव से थे। इसलिए अहमदिया मुस्लिमों को कादियानी भी कहा जाता है