आँखें खोलने वाली बात सही लगी इसलिए आगे भेज रहा हूँ....एक मुसलमान से पूछा गया कि इतनी एकता कैसे है तुम लोगों में
उसने कहा कुछ नहीं।काफ़िरों की बेवक़ूफ़ी हीं हमारी एकता है
उसने पूछा वो कैसे:-
ले सुन ने
1. हमारे मुस्लिम बुज़ुर्ग बच्चों को धर्म से जोड़ते है और तुम्हारे बुज़ुर्ग बोलते है बड़ा भक्त बना रहा है बुढ़ापे में कर लियो पूजा पाठ.....
2. हम अपनी कमाई का 10वाँ हिस्सा चाहे मुस्लिम भिखारी हो या व्यापारी धर्म के लिए देता है और आप लोग जब भी धर्म की बात आती है बग़लें झाकने लगते हो....
3. हम हर तरीक़े से अपने धर्म के लिए समर्पित है मरने को त्यार है लेकिन आप लोग चाहते हो पड़ोसी मर जाए लेकिन मेरे बच्चों का बाल भी बाँका ना हो....
4. हम तुम्हारे लोगों के बीच में रहकर दुकाने खोलकर काम करते है और तुम लोग सस्ते के चक्कर में मज़बूत करते हो और तुम्हारा हिंदू भाई जिस से तुम मज़बूत कर सकते थे उसे दुकान बंद करने पर मजबूर होना पड़ता है....
कुलमिलाकर एक ही बात हम अपने को मज़बूत करते है तुम सिर्फ़ सस्ते से मतलब है......
हम छौटा मौट्टा कोई भी काम कर लेते है तुम अपने बच्चों को सिर्फ़ नौकरी कराना चाहते हो.
शायद यही बातें काफ़ी बाक़ी और भी बहुत बातें है लेकिन इतनी ही काफ़ी हैं क्यूँकि मानोगे के तुम फिर भी नहीं क्यूँकि तुम अपने बच्चों को घरों में घुसा रखा है पड़ोसी से वो राम राम भी नहीं करता.....
"चलो भाई हमें तुम पर बहुत तरस आता है जब भी तुम्हारा भविष्य नज़र आता है"
बात सही लगे तो आगे भेजें और अपने धर्म के लिए अवश्य सोचे और विचार करें, धर्म को प्रधान मानने वाले मुस्लिमों ने 57 मुल्क बना लिये, धर्म को मानने वाले ईसाइयों ने अनेकों देश बना दिये और हिंदुओ की यह हालत है की अपने देश के 30 राज्यों में भी 9 राज्यों में अल्प संख्यक हो गये, जय सिया राम🚩
🚩बालाजी सेवा,, हनुमंत गॉ सेवा समिति🚩