किसी को एक ही दिन में 3 सुनवाई तो किसी को सुनवाईयों के लिए न जाने कितना इंतजार करना पड़ता है, किसी की जमानत अर्जी बार-बार खारिज हो जाती है या उसे टाली जाता है तो किसी को रात 10:30 बजे वो भी छुट्टी पर रहते हुए भी माननीय जमानत दे देते हैं वो भी अधूरे दस्तावेजों पर🤯
भारत की न्याय व्यवस्था को समझना आम आदमी के लिए वाकई बहुत भारी चीज है, अब कोर्ट में हो रहा है तो सब कुछ ठीक ही होगा लेकिन आम आदमी की चीजें समझ नहीं पाता बेचारे का दिमाग चक्कर खाने लगता है, इसलिए आम आदमी को गुंडे बदमासों से ज्यादा डर कानूनी पचड़े से लगता है... वैसे ये देश के कानून और न्याय तंत्र के लिए शर्म की बात है लेकिन अब क्या करें।
तीस्ता सीतलवाड़ को एक ही दिन में तीन सुनवाई मिलती हैं, एक गुजरात HC में, दो SC में और गर्मी की छुट्टियों के दौरान रात 10.30 बजे तक अंतरिम राहत मिलती है।
वह भी अधूरे दस्तावेजों के साथ उसकी याचिका में 9 चूक होने के बाद और अभियोजकों को आपत्ति उठाने का मौका भी नहीं दिया गया??
कैसे कहें की न्यायपालिका में भरष्टाचार नहीं है? कैसे कहें की न्यातंत्र में भ्रष्टाचार को दीमक नहीं लगी है? वैसे फिल्मों में तो कबसे दिखाते आए हैं की पुलिस, वकील, जज सब बिकते हैं और लोग उसे एंटरटेनमेंट समझकर देखते हैं...🤷♂️
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप की बेल की याचिका रद्द कर दी थी और बार बार मनीष कश्यप की याचिका टाली
लेकिन गोधरा दंगो में ऊंच अधिकारियों को फसाने वाली तीस्ता सीतलवाड़ को बेल दे दी है।
और आज सुप्रीम कोर्ट की छुट्टी थी लेकिन छुट्टी होने के बावजूद जमानत !!
यह कैसा कानून बनाया था कांग्रेस सरकार ने मोदी जी बदलिये इस कानून को और सुप्रीम कोर्ट को हर व्यक्ति के लिए एक जैसा बनाइए गरीब आदमी की भी उतनी सुनवाई हो जितनी इन पैसे वालों की होती है