ओडीशा रेल दुर्घटना में सीबीआई ने जाँच के दौरान सिग्नल के JE आमिर खान के घर को सील कर दिया है। वो सपरिवार पूछताछ के बाद से ही गायब बताया जाता है। उससे दुर्घटना के बाद पूछताछ भी की गई थी।
Balasore Train Accident क्या वास्तव में एक्सीडेंट नहीं एक जेहादी साजिश था??? आपको पता होगा कुछ लोगों और नेताओं ने CBI जांच का विरोध किया था जैसे ममता बनर्जी, प्रश्न ये उठता है की क्या ये साजिश है तो इसमें नेता भी सम्मिलित है ताकि मोदी सरकार को बदनाम किया जा सके और 2024 चुनाओं में उन्हें हराया जा सके?जेहादी तो कुछ भी कर सकते हैं और करेंगे भी "गजवा ए हिन्द" के लिए लेकिन क्या इतना गिर सकता है राजनीति तंत्र?
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ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे की जांच कर रही सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई की है. उसने सोरो सेक्शन सिग्नल के जेई आमिर खान (Aamir Khan) का घर सील कर दिया है. सीबीआई ने हादसे की जांच हाथ में लेने के बाद उससे पूछताछ की थी. लेकिन इस पूछताछ के बाद वह अपने परिवार समेत घर छोड़कर लापता हो गया. सीबीआई टीम सोमवार को उससे दोबारा पूछताछ करने के लिए उसके किराये के घर पर पहुंची लेकिन वहां पर ताला लटका दिखाई दिया. आस-पड़ोसियों से भी उसका कोई सुराग नहीं मिला, जिसके बाद अधिकारियों ने उसका घर सील कर दिया.
मीडिया रिपोर्टों में इस सेक्शन सिग्नल जेई (Signal JE) का नाम आमिर खान (Amir Khan) बताया गया है। उससे सीबीआई ने किसी अज्ञात जगह पर पूछताछ की थी। लेकिन अब वह अपने घर से गायब है। इसके बाद सोमवार (19 जून 2023) को जाँच एजेंसी ने किराए का उसका घर सील कर दिया। जानकारी के मुताबिक CBI आमिर के घर की निगरानी कर रही है।
बालासोर को इस दुर्घटना / जेहादी वारदात में 292 लोगों की मृत्यु हुई , लगभग 1000 लोग घायल हुए। प्रारंभिक जाँच में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (Railway Electronic Interlocking) में बदलाव के कारण यह दुर्घटना होने की बात सामने आई थी। 6 जून को मामले की जाँच सीबीआई को सौंपी गई थी।
CBI की जांच टीम सोमवार को JE अमीर खान के घर पहुंची और उसके सपरिवार गायब होने के कारण घर को सील कर दिया। देखा जाए तो सिग्नल JE पर ट्रेनों के सुरक्षित संचालन में इसकी काफी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। सिग्नल उपकरण, ट्रैक सर्किट, प्वाइंट मशीन और इंटरलॉकिंग सिस्टम की स्थापना, रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी सहित सिग्नल जेई की होती है।
और जब जेहादी सोच के लोगों को ऐसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दो जाएगी तो लोगों की जान का क्या भरोसा?
सरकार और अन्य उद्योगपतियों को भी सावधान होना होगा और किसी को भी जिम्मेदारी देने से पहले उसे बिलकुल ठीक से पहचाने ये जरूरी है अन्यथा आपके सेक्युलरिज्म के चक्कर की सैकड़ों मासूम लोगों को जान चली जाती हैं, सैकड़ों परिवार उजड़ जाते हैं, ना जाने कितने लोग अंगभंग होकर नरकीय जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं।