विभू ने कहा कि वो डॉक्टर बनने के बाद भी मां गंगा की आरती ऐसे हो करते रहेंगे , मां गंगा की सेवा करते रहेंगे क्योंकि उन्हें ऐसा करने से मन को शांति प्राप्त होती है।
विभु उपाध्याय के इस प्रदर्शन से उनके गाँव कछला में भी उत्साह का माहौल है। विभु ने कहा, “गंगा मैया ने मुझे लोगों की सेवा के लिए चुना है। मैं उन्हें कभी निराश नहीं करूँगा। उनकी कृपा से ही मैं आज इस मुकाम तक पहुँच पाया हूँ। मेरी कामयाबी के पीछे मेरे माता-पिता के वाला शिक्षकों का भी हाथ है। मैं अपने जिले के पूर्व DM डीके सिंह को भी धन्यवाद देता हूँ, 2019 में उन्होंने ही गंगा आरती कार्यक्रम की शुरुआत करवाई थी।”
विभु उपाध्याय का मानना है कि ऐसी पहल के कारण ही उनके जैसे युवा सनातन धर्म से जुड़ पाए। घाट पर जाकर आरती करना युवाओं को अच्छा लगने लगा। साथ ही उन्हें उनकी संस्कृति से भी जोड़ता था। विभु उपाध्याय ने गंगा माँ की आरती के दौरान पहने जाने वाले वस्त्र की भी तारीफ़ की। उन्होंने कहा कि उनका मन गंगा आरती के कारण केंद्रित रहता था और शांत रहता था। वो रोज एक घंटे आरती में अपना समय देते थे।