नसीरुद्दीन शाह ने, "द केरला स्टोरी" फिल्म को एक "डेंजरस ट्रेंड" बताया है!? यहाँ तक कि उसे अब हिटलर युग की भी याद आ गई! वैसे भी अभी गोधरा, सावरकर और अजमेर जैसी 'फिल्में' और आने वाली है, ओर इससे उसे और भी असहनीय पीड़ा होना तय हैं।
सरफरोश फिल्म में, इसका जो "गुलफाम हसन" का कैरक्टर दिखाया गया है, वास्तव में यही नसीरुद्दीन का रियल कैरेक्टर भी है, रील लाइफ में, गुलफाम हसन का जो "कैरेक्टर" उसने निभाया था, आज वह वास्तव में भी, उसी किरदार को अपनी रियल लाइफ में भी जी रहा है। जब आतंक की इतिहास उसके सामने ही लिखा जा रहा था, तो वह चुप्पी साधे बैठा हुआ था। परंतु आज जब इतिहास की पन्नों से उस आतंक की पटकथा को दुनिया के सामने रखा जा रहा है, तो उसे 'बर्दाश्त' नहीं हो रही है! क्योंकि सच्चाई का पर्दाफाश हो रहा है...
नसीरुद्दीन शाह अकेला नहीं है इस लिस्ट की, और भी अनेकों लोग हैं जिनसे अब सामने आ रही सच्चाई बिलकुल हजम नहीं हो रही, सही मानें तो इनको फटी पड़ी है को जो मजा अब तक झूठ के सहारे उन्होंने लिए उसका अब क्या होगा।
देश को जनता अब सच को जानने और स्वीकार करने के लिए तैयार है, सच अब जनता के सामने आने के लिए तैयार है और धीरे धीरे सत्य उजागर हो भी रहा है। अभी तो बहुत कुछ सामने आना बाकी है।
और इस सत्य को कुछ झूठ की मलाई खाने वाले दोगले, गद्दार लोग प्रोपोगेंडा बताएंगे , लेकिन अब प्रोपोगेंडा और सच का अंतर भारत समझने लगा है।