मोदी सरकार में पिछले 9 साल की औसत महंगाई 5% रही जबकि कांग्रेस सरकार में 10 साल की औसत महंगाई थी 8.5%।
इसी तरह कांग्रेस सरकार में 10 साल का औसत ग्रोथ 6.8% था और भाजपा के कोरोना से पहले की भी उतनी ही रही।
अब चूंकि आपको अलग अलग अर्थशास्त्री अलग अलग मेथड से समझा रहे हैं कि ग्रोथ असल मे कितनी है तो एक फार्मूला ये भी समझिए जो मैं लिख रहा हूँ।
आप ग्रोथ देखिए और महंगाई देखिए।
कांग्रेस की ग्रोथ थी 6.8% और महंगाई थी 8.5%.
अर्थात असल ग्रोथ थी (माइनस में 1.7%)
भाजपा की ग्रोथ भी थी प्री कोविड 6.8% पर महंगाई थी 5%
अर्थात असल ग्रोथ थी (प्लस में 1.8%)
अब अगर कोविड के 2 साल भी जोड़ दें जहां कोरोना के कारण ग्रोथ नही हुई और माइनस में गयी तो औसत 6.8% से घटकर 5.4% पर आता है और तब भी ग्रोथ .4% होती है।
इसके बाद इस साल की ग्रोथ है 7.2% और महंगाई थी 5.2%
अर्थात इस साल की ग्रोथ भी थी 2%
तो क्लियर है कि कांग्रेस के समय महंगाई इतनी ज्यादा थी कि ग्रोथ माइनस में चल रही थी जबकि भाजपा के समय महंगाई कंट्रोल में करने के कारण ग्रोथ पॉजिटिव में रही है।
इसे और आसान से समझना है तो ऐसे समझिए कि आपकी सैलरी बढ़ रही है 7% से और महंगाई बढ़ रही है 9% से तो आपको सैलरी ग्रोथ दिख तो रही है पर तब भी महंगाई की वजह से आपकी सैलरी 2% कम ही हो रही है।
वहीं यदि आपकी सैलरी बढ़ रही है 7% से और महंगाई बढ़ रही है 5% से तो आप अपनी सैलरी का 2% बचा रहे हो।
यही फॉर्मूला अब देश पर लागू कर लो, जीडीपी बनाम महंगाई पर।
एक और चीज की कांग्रेस का इतिहास रहा है महंगाई का।
इंदिरा के समय 8.5% महंगाई, राजीव के समय 8% महंगाई, नरसिम्हा राव के समय 10.5% महंगाई और मनमोहन के समय 8.5% महंगाई।
जबकि अटल के समय 5.5% महंगाई और मोदी के समय 5% महंगाई।
अर्थात कांग्रेस जब भी सत्ता में आती है महंगाई बढ़ाती है फिर भले ही विपक्ष में रह कितना ही महंगाई पर छाती कूटे और जनता को मूर्ख बनाये क्योंकि जनता की आदत होती है भूल जाने की।।