J & k - कश्मीर में पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रहे दो जिहादी डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया नाम बिलाल अहमद दलाल और डॉक्टर निगहट शाहीन चिल्लू। दोनों के द्वारा जानबूझकर बनाई गई गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के कारण कश्मीर में हिंसा भड़क गई थी।
मामला 2009 का है जब दो मुस्लिम लड़कियां नीलूफर और आशिया जो की ननंद भोजाई की दुर्घटना वश पानी में डूबने से मर गई थी, जिनके शव नदी में मिले थे। ये अपने बगीचे से कथित रूप से लापता हो गई थीं। इसके बाद आरोप लगाया गया था कि सुरक्षाकर्मियों ने इन महिलाओं के साथ साथ बलात्कार किया और बाद में उनकी हत्या कर दी।
दोनो लड़कियों का पोस्टमार्टम पाकिस्तानी दलाल "जेहादी" बिलाल और निगहट ने ही किया था। इन्होंने अपनी रिपोर्ट में झूठी बात लिखते हुए कहा था कि इन दोनों लड़कियों का रेप करने का हत्या कर दी गई थी। हालाँकि, सच्चाई ये थी कि इन दोनों लड़कियों की मौत 29 मई 2009 को दुर्घटनावश नदी में डूबने से हुई थी। 14 दिसंबर साल 2009 को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में सीबीआई ने यह बात कही थी।
ANI ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि डॉक्टर बिलाल अहमद दलाल और डॉक्टर निगहट शाहीन चिल्लू पाकिस्तान से सक्रिय रूप से जुड़े थे। ये पाकिस्तानी जासूसों और आतंकी संगठनों के मॉड्यूल के साथ मिलकर घाटी में अराजकता फैलाने का काम कर रहे थे।
गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने क बाद स्थानीय लोग सुरक्षाबलों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे। इस दौरान पूरी घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। घाटी को 42 दिनों तक पूरी तरह ठप कर दिया था और जगह-जगह हिंसा होती रही थी। इसका असर 7 महीने तक देखने को मिला। विरोध प्रदर्शनों के दौरान 7 नागरिकों की जान चली गई थी, जबकि 103 लोग घायल हुए थे। इसके अलावा, 29 पुलिसकर्मियों और 6 अर्धसैनिक बलों के जवानों को चोटें आई थीं।
यह बात भी सामने आई है कि उस समय की सरकार के उच्च अधिकारियों को इस सच्चाई के बारे में जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसे दबा दिया। उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने 2009 में इन दोनों डॉक्टरों को निलंबित कर दिया था। इसके बाद अब्दुल्ला ने मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी। इसके बाद घाटी में हालत धारे-धीरे सुधरने लगे। सीबीआई ने जाँच में पाया कि दोनों महिलाओं के साथ कभी दुष्कर्म नहीं हुआ था।
इस घटना को लेकर जून से दिसंबर 2009 तक के 7 महीनों में हुर्रियत जैसे समूहों ने 42 बार हड़ताल की। इसके कारण घाटी में बड़े स्तर पर दंगे हुए थे। इस दौरान कानून व्यवस्था से संबंधित 600 से अधिक मामले सामने आए। घाटी के विभिन्न थानों में दंगा, पथराव, आगजनी के 251 FIR दर्ज किए गए थे। एक अनुमान के मुताबिक, उन 7 महीनों में करीब 6,000 करोड़ रुपए के कारोबार का नुकसान हुआ था।
सोचो दो जिहादियों ने मजहब के नाम पर कितना गंदा काम किया लेकिन फिर भी इन्हें फक्र ही होगा कि इन्होंने मजहब की राह में काम किया और समय आने पर कयामत के बाद इन्हें जन्नत मिलेगी। यह कैसा "मजा हब" और यह कैसी मजहबी सोच