GOOD NIGHT #शुभ_रात्रि
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परमात्मा की सत्ता पर पूर्ण विश्वास रक्खो, जिस दिन परमात्मा की सत्ता का पूर्णविश्वास हो जायेगा, उस दिन तुम पाप रहित होकर परमात्मा के सम्मुख पहुंच जाओगे। कुसंग से सदा बचना चाहिए और सत्संग का सदा आश्रय लेना चाहिए। विषयी मनुष्य का संग तो बहुत ही हानिकारक है, चैतन्य की बात ही जुदा है। मन और इन्द्रियां सदा जड़ पदार्थ में ही लगी रहती हैं। इससे विषयी मनुष्य को चैतन्य का भान नही होता है और कुकर्म करके विषयी चौरासी में सदा के लिए चला जाता है। परमात्मा के विरोध की बात कभी भूल कर भी नही करनी चाहिए। और न परमात्मा के भक्तजनों की निन्दा करना चाहिए। यही सबसे बड़ा पाप है। गुण- दोष सबमें रहते हैं, गल्ती सभी से हो जाया करती है। यदि तुम किसी का काम देखते ही दोष देखने लगोगे तो तुम्हारी मनोवृत्ति आगे चलकर बहुत ही खराब हो जायेगी। तुम्हें नेक से नेक काम में भी दोष ही दीखेगा। खुद दुःख पाओगे और दूसरों को दुख पहुंचाओगे। इसके एवज में तुम गुण देखोगे तो तुम्हारी मनोवृत्ति शुद्ध रहेगी और तुम्हारा चित्त, मन शान्त रहेगा। सबमें गुण देखने की आदत डालो। फिर तुम्हें स्वयं अनुभव होगा कि कितना आनन्द मिलता है। इज्जतदार बनो, सच्ची इज्जत क्या है पहले इस बात को जानो। अन्याय से धन कमाकर भी धन की वजह से मनुष्य इस दुनिया में इज्जतदार कहला सकता है। लेकिन परमात्मा के यहां उसकी इज्जत नही है।
यहां निर्धनता से जीवन बिताने वाला मनुष्य, संसारी निगाह से गिरा हुआ भी सत्य, धर्म के मार्ग से नहीं गिरता तो वही सच्चा इज्जतदार है।
मान बड़ाई के लालच में धर्म को छोड़ न दो। मान बड़ाई को तलुओं तले कुचल डालो पर सत धर्म को बचा लो। धन, मकान, विद्या, मनुष्य आदि के बल पर अहंकार न करो। यह सब पल भर में नष्ट हो जाता है। सत्य बल ईश्वर बल है। जहां अस्पताल, डाॅक्टर, वैद्य अधिक हों वहां समझो कि मनुष्यों का शारिरिक पतन हो चुका है। जहां वकील ज्यादा हों और अदालत में भीड़ रहती हो तो समझों कि वहां मनुष्य की ईमानदारी खत्म हो चुकी है। और जहां गन्दी पुस्तक और साहित्य बिकता हो, अच्छी तरह समझो कि वहां मनुष्य का नैतिक पतन हो चुका है।
केवल दवा और अस्पतालों से रोगों का जाना असम्भव है। रोग मन, बुद्धि व इन्द्रिय संयम से जाते हैं। संसार में नाकिस विषयों की आग जल रही है। इसी आग से मनुष्य अपनी मन, इन्द्रियां जला रहा है। और इसके साथ जीव दुख पा रहा है। सत्संग से इन्द्रियां दमन और मन की शुद्धि होती है अतः कुसंग त्यागकर सतसंग का सेवन करना चाहिए। वकील और अदालत से ही झगड़ों की जड़ नही कटती। झगड़ों की जड़ काटने के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि ईमानदारी से तुम दूसरों का हक मारना छोड़ दो।
. 🚩जय सियाराम 🚩
. 🚩जय हनुमान 🚩