कथित दलित हित चिंतक देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति जी को लेकर झूठ फैला रहे हैं ताकि हिंदुओं में भी आपस में फूट पड़े, साथ ही यहां जगन्नाथ पुरी की छवि को भी धूमिल करने का प्रयास हो रहा है।
दलित वॉइस या दिलीप मंडल जैसे ट्विटर हैंडल से यह गंदा और घटिया प्रोपेगेंडा चलाने का उद्देश्य अपनी गंदी राजनीति चमकाना तो है ही साथ ही हिंदुओं को आपस में लड़ाना उनमें द्वेष उत्पन्न करना इनका मुख्य एजेंडा सदा ही रहा है। और ऐसे लोगों के हौसले इसलिए बढ़ते हैं क्योंकि हमारे देश का कानून और प्रशासन इन पर कोई कठोर कार्यवाही नहीं करता, जबकि इनकी दुर्भावनापूर्ण हरकतों को कोई साधारण व्यक्ति भी समझ सकता है।
राजधानी नई दिल्ली के हौज खास स्थित जगन्नाथ मंदिर के ‘श्री नीलाचल सेवा संघ’ के सेक्रेटरी रवींद्र नाथ प्रधान ने इन आरोपों को नकारते हुए तथ्य बताए हैं। ऑपइंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान के सामने भेदभाव के लिए कोई जगह ही नहीं है। उन्होंने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया पर ये झूठ फैलाए जाने की सूचना मिली है कि जनजातीय समाज से होने के कारण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। रविंद्र प्रधान की ने क्या कहा विस्तार से पढ़ने के लिए opindia की लिंक पर क्लिक करें
खुद को दलित हित चिंतक बताने वाले धूर्त लोगों द्वारा हिंदुओं को आपस में बांटने के लिए ऐसे एजेंडे समय-समय पर चलाए जाते हैं और यह एजेंडा भी उन्हीं की घटिया सोच का परिणाम है।
‘द दलित वॉइस’ नामक ट्वटर हैंडल ने लिखा, “अनुमति मिली – अश्विनी वैष्णव (केंद्रीय रेल मंत्री)। अनुमति नहीं मिली – द्रौपदी मुर्मू (भारत की राष्ट्रपति।”।
इसी तरह प्रोपेगंडाबाज दिलीप मंडल ने पुजारियों पर कार्रवाई करने की माँग तक कर दी। उसने तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा कि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को गर्भगृह में जाने की अनुमति दी गई, जबकि भारत की प्रथम नागरिक को नहीं।
वैभव कुमार नामक यूजर ने तो लिख दिया कि लकड़ी का बैरियर सिर्फ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए ही लगा दिया गया। उसने लिखा कि भारत में जाति के आधार पर सम्मान मिलता है, भले ही राष्ट्रपति ही क्यों न हों।
जैसा कि ऑपइंडिया को मंदिर के सेक्रेटरी ने ही बताया, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव हों या धर्मेंद्र प्रधान, दोनों ही यात्रा के मुख्य अतिथि के रूप में गर्भगृह में गए थे। जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मामले में ऐसा नहीं था। उन्होंने बैठने के लिए कुर्सी तक ठुकरा दी थी और मंदिर के नियमों के हिसाब से पूजन-दर्शन का निर्णय लिया। मंदिर के सेक्रेटरी खुद कह रहे हैं कि नियम के बावजूद अगर वो कहतीं तो गर्भगृह में वो जा सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा।
झूठ बोलकर/फैलाकर लोगों को गुमराह करने वाले अफवाह गैंग पर आखिर कार्यवाही कब होगी....??
ReplyDeleteजय श्री🙏 राम
ReplyDeleteकोई भी पोस्ट पहले पढ़ो समझो फिर प्रतिक्रिया दे
जय श्री राम जय हिंदू राष्ट्र
ReplyDeleteRight sir Jay Sri Ram Jay Hindu Rashtra
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteहर हर महादेव जय श्री राम
ReplyDeleteजय श्रीराम
ReplyDeleteऐसी मीडिया पर भरोसा करो।
ReplyDeleteभारत माता की जय
ReplyDeleteJay shree Ram
ReplyDeleteJay Hindurashtra