Adipurush फिल्म का विरोध शुरू से ही हो रहा है क्योंकि फिल्म बनाई ही ऐसी गई है की जो देखे वो गलियां ही दे, कुछ बदलाव की नौटंकी भी नारा बार मेकर्स ने की लेकिन अब फिल्म की "लंका" लग चुकी है वैसे दोषी सेंसर बोर्ड भी है जिसने नशे में इस फिल्म को पास किया। अब हाई कोर्ट ने एडवोकेट कुलदीप तिवारी जी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मेकर्स और सेंसर बोर्ड को (26 जून 2023) फटकार लगाई।
जानकारी के लिए बता दें की एडवोकेट कुलदीप तिवारी जी ने फिल्म के विरुद्ध याचिका दायर करते हुए फिल्म के विवादों डायलॉग पर आपत्ती दर्ज की थी और ये भी कहा था की जनता भी फिल्म से खुश नहीं हैं। अब इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदि पुरुष के मेकर्स और सेंसर बोर्ड को जमकर फटकार लगाई।
इस बारे में याचिकाकर्ता ने बयान जारी करते हुए कहा, ''आदिपुरुष को लेकर हमारी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह की बेंच ने सेंसर बोर्ड और फिल्म के मेकर्स को फटकार लगाई है।'' उन्होंने कहा कि कोर्ट ने सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी सिंह से पूछा कि सेंसर बोर्ड क्या करता है? सिनेमा समाज का दर्पण होता है। क्या सेंसर बोर्ड को अपनी जिम्मेदारियां नहीं पता है?
कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल रामायण ही नहीं बल्कि कुरान, गुरू ग्रंथ साहिब और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों तो कम से कम बख्श दीजिए। अब इस मामले में 27 जून को दोबारा सुनवाई होगी।
आप तो जानते ही हैं कि आदिपुरुष के कई वाहियात संवादों पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई विरोध किया और फिल्म पर बैन की मांग भी की थी। फिल्म को लेकर बढ़ता विरोध देख मेकर्स ने इसके संवाद बदल दिए लेकिन इससे भी कोई फायदा नहीं हुवाा। बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म धराशायी हो चुकी है।
जानकारी के अनुशार 600 करोड़ के बजट में बनी यह फिल्म अब तक 277 करोड़ के आसपास ही कमाई कर सकी है।
ये सभी फिल्म मेकर्स के साथ साथ सेंसर बोर्ड के लिए एक बड़ी सीख है की वो अपना काम ईमानदारी से करें, पैसों के या किसी और नशे में डूबकर काम करना भारी पड़ सकता है। वैसे जज साहब ने कुरान का भी नाम लिया तो हम बता देना चाहते हैं कि भारत में शायद ऐसा कोई पैदा ही नहीं हुआ जो कुरान को लेकर सच्ची फिल्म भी बना सके उसमें छेड़छाड़ तो बहुत दूर की बात है, इन सभी अभिव्यक्ति की आजादी वाले लोगों को केवल हिंदू धर्म पर ही उल्टी-सीधी फिल्में बनानी आती है बाकी इनकी हिम्मत नहीं है।
और सेंसर बोर्ड इतना निर्लज्ज हो चुका है कि वह समाज की संस्कृति को नष्ट करने वाली घटिया प्रकार की फिल्मों को भी स्वीकृति देता है और हिंदू धर्म पर, हिंदू परंपराओं पर, हिंदू देवी दवताओं पर बनी घटिया फिल्मों को आसानी से स्वीकृति प्रदान कर देता है।
और यही कारण है कि हाल ही में लोगों ने सेंसर बोर्ड पर भी कार्यवाही के लिए ट्विटर पर ट्रेन चलाते हुए सरकार से निवेदन किया था। लोगों ने प्रसून ने जैसे गैर जिम्मेदार और अनफिट अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही के लिए सरकार से मांग की थी।
सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों पर कार्यवाही करें और ऐसे जिम्मेदार पद से कार्यमुक्त करें क्योंकि यह जिम्मेदार पद समाज को गलत चीजों से सुरक्षित रखने के लिए होता है ना कि समाज में गंदगीया भरने के लिए।