धरती के किसी भी कोने में , इंसान हो या जानवर चाहे हो जल, जंगल या पहाड़ इन जेहादी हैवानो से कोई सुरक्षित नहीं. इतने निर्दयी , निर्लज्ज और अपराधी किस्म के होते हैं ये कट्टरपंथी और बेशर्म भी की अपराध पर अपराध करते हैं और इनके ठेकेदार इन्हें इनोसेंट , शांतिप्रिय बताते हैं.
देवभूमि कहे जाने वाला उत्तराखंड अब दानव भूमि बनता जा रहा है , लगातार तरह तरह के अपराधों में बढ़ोतरी होती जा रही है और कारण सर्वविदित है लेकिन क्या मजाल की कोई इस अपराधी और जेहादी सोच के लिए कुछ बोल दे ... सेकुलरिज्म खतरे में जो आ जायेगा .. लेकिन हिन्दुओं को अब थोड़ा समझदार बनना होगा उन्हें अपनी, अपने परिवार, धर्म और देश की रक्षा के लिए गंभीरता से सोचना होगा और जेहादी सोच को समझकर उसका विरोध और पुर बहिष्कार करना होगा और आवस्यकता पड़ने पर कानून के अनुरूप प्रतिकार भी करना होगा
उत्तराखंड के काशीपुर में बंदरों की मौत की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। बाग के आम बचाने के लिए बंदरों को जहर देकर मारा गया था। इस मामले में कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके नाम हैं- जान मोहम्मद, इनामुद्दीन, छोटे खां, इमरान, अफजाल, अनवार, इकरार, नदीम और मुबारिक। 8 बंदरों के शव रविवार (18 जून 2023) को बगीचे में गई महिलाओं को मिले थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना काशीपुर के ITI थाना क्षेत्र की है। यहाँ दिल्ली के संदीप शर्मा का आम का एक बाग़ है। 2 साल पहले इस बाग़ की लीज संदीप ने बरेली जिले के जान मोहम्मद को दी थी (अब देखा जाए तो संदीप भी बंदरों की ह्त्या का अपराधी है और भारत का कानून भले ही इसकी सजा इसे ना दे पाए लेकिन ईश्वर का कानून इसे इस अपराध की सजा जरूर देगा)। जान मोहम्मद फिलहाल काशीपुर के जैतपुरा फार्म में रहता है। उसने अपने साथ इस बाग के कामकाज के लिए इनामुद्दीन, छोटे खां, इमरान, अफ़ज़ाल, अनवार, इकरार, नदीम और मुबारिक को भी रखा था। ये कितना समझदार है की सरे कारीगर अपने ही मजहब के चुने .. हिन्दुओं में ऐसी समझदारी कब आएगी ?
DSP वंदना शर्मा के मुताबिक आरोपितों ने पूछताछ में बताया है कि बाग को लीज पर लेने के बाद उन्हें धंधे में घाटा हो रहा था। इसकी वजह बंदरों द्वारा आम के बाग में किया जाने वाला उत्पात था। आखिरकार बंदरों से छुटकारा पाने के लिए आरोपितों ने आम पर जहरीली दवाओं का छिड़काव कर दिया। इसके कारण 8 बंदरों की मौत हो गई। इसके बाद आरोपितों ने गड्ढा खोद आम के कैरेट में शव रख उसे पत्तों से ढक दिया। अब इनके लिए बंदरों की जिंदगी की क्या कीमत .. इन्होने सबसे आसान तरीका ही यही सोचा की बंदरों को मार दो .. और कोई उपाय सोचेंगे भी कैसे . सोच ही ऐसी है "जहरीली"
रविवार को जब बाग में कुछ महिलाएँ घास काटने आईं तो उन्हें बंदरों के शव एक जगह पड़े मिले। कुछ ही देर में इसकी जानकारी आसपास के लोगों को हुई और वे मौके पर जमा हो गए। लोगों ने घटना पर नाराजगी जताते हुए आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की। अब हमारा कानून कितनी कड़ी कार्यवाही करता है ये तो समय ही बताएगा
पुलिस को आम के बाग में जहरीली दवाओं की बोतलें भी पड़ी मिली हैं जिन्हें कब्जे में ले लिया गया है। पकड़े गए आरोपितों ने पुलिस के आगे बंदरों को जहर देने की बात कबूल की है। पुलिस ने सभी 9 आरोपितों का वन्य जीव क्रूरता अधिनियम वन्य जीव संरक्षण अधिनियम और IPC की धारा 295- A में चालान कर जेल भेज दिया है। सबसे अच्छी बात ये है की बाग के मालिक संदीप शर्मा का भी पुलिस एक्ट में चालान किया जाएगा।
इस प्रकार के कट्टरपंथी सोच वाला चाहे वह हिंदू हो वह एक मानसिक जिहादी है ऐसे मानसिक जिहादियों पर कानूनन कठोर कार्रवाई होने चाहिए यह धर्म द्रोही है व्यक्ति विधियों के साथ मिलकर जिस प्रकार का कुकृत्य किया है ऐसे विधर्मी को प्रशासन जल्द से संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करें
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