प्रश्न तो यह है कि हिन्दुओं की लड़कियों में किशोरावस्था के आरंभ से अर्थात 10 -12 वर्ष की आयु से ही उनके दिमाग में अपना भविष्य सुधारने के लिये पढ़ाई पर ध्यान देने, स्पोर्ट्स, कुकिंग, टेलरिंग, कम्प्यूटर इत्यादि जीवनोपयोगी चीजें सीखने के बजाय प्यार मुहब्बत की आजमाइश करने का कीड़ा कैसे बेकाबू हो कर कुलबुलाने लगता है?
कौन डालता है हिन्दू बच्चियों के दिमाग में मुहब्बत का कीड़ा जो उनके माता पिता और घर के अन्य सदस्यों को जरा भी भनक नहीं लगती ? माता- पिता भी सेकुलरिज्म, आधुनिकता के नशे में चूर हैं।
विदेशी विधर्मी आक्रांताओं के बच्चों को तो शुरू से सिखाया और अभ्यास ही यही कराया जाता है कि हिन्दू की लड़की को फंसाओ और बच्चे पैदा कर अपनी आबादी बढ़ाओ और अगर वो न माने तो उसको निपटा दो ताकि साज़िश के राज न खुल जायें ।
वे तो अपना निर्धारित कर्म बड़ी तत्परता से कर रहे हैं परन्तु हिन्दुओं को ये अनवरत चलता हुआ षड़यंत्र समझ में क्यों नहीं आ रहा है ?जबकि लगातार जागरूक हिंदू जगाने का प्रयास कर रहे हैं और अनेकों घटनाएं खुद चीख चीखकर समझा रही हैं😔😔😔😔
रोग के लक्षणों का उपचार करने से कुछ नहीं होगा - रोग की जड़ को समाप्त करना पड़ेगा ।
समस्या की जड़ पर प्रहार करने से ही समस्या दूर होगी। वर्ना 10 वीं क्लास में पढ़ने वाली 16 वर्ष की बच्ची को जिस बेरहमी से जेहादी ने अपना शिकार बनाया है वैसे ही आगे भी होता रहेगा और आप न्याय के लिए भीख मांगते मांगते मर जाओगे।
ये वीडियो देखो, बार बार देखो ताकि थोडासा आपके अंदर का सेक्युलर का कीड़ा म रे। और हां यहां भी ये हिंदू लड़की को मात्र 16 वर्ष की हैं ये उस जेहादी की दोस्ती थी। ये अपने मां बाप से दूर किसी दोस्त के घर रह रही थी।
आखिर दोस्त के घर क्यों रह रही थी? माता पिता ने किसी दोस्त के यहां कैसे रहने की अनुमति दे दी?
बच्चों को पैदा करने से जीवन सफल नहीं होगा, उन्हें धर्म ज्ञान दो, संस्कार दो, उनपर ध्यान दो, उन्हें आदि और आधुनिक बनाओ लेकिन आजादी और आधुनिकता का असली अर्थ समझो