देश के लिए कानून बनाने का शौक रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के मीलॉर्ड, बंगाल, तमिलनाडु और केरल सरकारों को बर्खास्त करने की हिम्मत करें या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढोल बजाना बंद करें।
यह बात सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश कई बार कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट का बनाया कानून देश का कानून होता है जबकि अदालत के पास कानून बनाने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है क्योंकि यह संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
सुप्रीम कोर्ट किसी सरकार को केंद्र द्वारा बर्खास्त किए जाने पर उसे पुनर्स्थापित कर सकता है। पिछले 9 साल से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश में कई बार अराजकता फैलाने के भी अनुमति दी गई जैसे किसान आंदोलन और CAA के खिलाफ शाहीन बाग़ में।
लेकिन अब समय आ गया है बंगाल, तमिलनाडु और केरल की सरकारों को करोड़ो लोगों की द केरला स्टोरी फिल्म देखने के मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात करते हुए फिल्म को बैन करने के अपराध में सुप्रीम कोर्ट “बर्खास्त” करने की हिम्मत दिखाए। यदि आप किसी सरकार को पुनर्स्थापित करने की शक्ति रखते हैं तो संविधान के विरुद्ध कार्य करने वाली राज्य सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं कर सकते।
कानून व्यवस्था बिगड़ने का भय दिखा कर कोई सरकार उन्मादी दंगाइयों की हिंसा को बढ़ावा देने का काम नहीं कर सकती जो ममता बनर्जी कर रही है। राज्य में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करना राज्य सरकार का और उसकी पुलिस का काम है। ऐसा नहीं करने में यदि कोई सरकार सक्षम नहीं है तो उसे सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट को याद होना चाहिए कि जब दिल्ली पुलिस ने किसानों के 26th जनवरी, 2021 के ट्रैक्टर मार्च को रोकने के लिए अनुमति मांगी थी तो तत्कालीन CJI बोबडे ने कहा था लॉ आर्डर बनाए रखना आपका काम है, हम उसके बिगड़ने के डर से प्रदर्शन का मौलिक अधिकार नहीं छीन सकते।
आज जनता को भी फिल्म देखने का मौलिक अधिकार है और उसे इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। तमिलनाडु और केरल की सरकार थिएटर और लोगों सुरक्षा नहीं दे रही जबकि कुछ नेता खुलेआम आगजनी की धमकी दे रहे हैं।
आज कपिल सिब्बल केरल हाई कोर्ट के फिल्म को बैन न करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट CJI चंद्रचूड़ के पास पहुँच गया। वह किसकी अपील लेकर गया यह पता नहीं परंतु वह जैसे फड़फड़ा रहा है, जाहिर है वह ISIS की वकालत कर उसे “ईमानदार” साबित करने खड़ा हुआ था।
CJI चंद्रचूड़ ने सुनवाई के लिए 15 मई की तारीख दी है। इस बीच फिल्म के निर्माता भी सुप्रीम कोर्ट गए हैं ममता सरकार के बैन के खिलाफ। हो सकता है सारी सुनवाई एक साथ हो लेकिन कोई किन्तु परंतु के बिना इन तीनो राज्य की सरकार संविधान की रक्षा न कर पाने लिए बर्खास्त करे सुप्रीम कोर्ट।
#साभार: सुभाष चन्द्र