कुछ एक सामान्य सवाल...
क्या हिटलर को उसकी मौत के बाद माफ़ कर दिया गया? नहीं! दुनिया के वामपंथियों ने उसे कभी मरने नहीं दिया! क्या स्टालिन की विशाल मूर्तियां उसके मरने के बाद तोड़ी गईं? हाँ! लेकिन इन्ही वामपंथियों ने इस सत्य को दुनिया से छिपाया!
ये वामपंथी भी गजब होते हैं, ऐसा कुछ चक्कर चलाते हैं कि सच झूठ और झूठ सच बन जाता है, अर्थात चारों तरफ भ्रम ही भ्रम फ़ैल जाता है, जिसका ये फिर भरपूर फायदा उठाते हैं! अब जैसे कि कर्मफल को लेकर भारत में भ्रम फैला रखा है, जिसके चक्कर में आकर कुछ एक लोग कर्मफल कर्मफल का नारा लगा रहे हैं तो कुछ एक इस भावना में बह रहे हैं!
क्या भारत में मृत्यु के बाद उसके कुकर्मों को भुला देने की परम्परा है? नहीं! अगर ऐसा होता तो रावण हर साल नहीं जलाया जाता! हजारों पीढ़ियॉं गुजर गईं मगर आज भी लोग अपने बच्चों का नाम मंथरा कैकेयी और दुर्योधन नहीं रखते! विभीषण धर्म के साथ था मगर एक कर्म के फल से उसे आजतक हिंदुस्तान ने मुक्त नहीं किया! जयचन्द तो हमारे मुहावरों में अपना कर्मफल सदियों से भोग रहा है! ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां देवता भी ना जाने किस जन्म का कर्मफल किस जन्म में भोगते देखे गए!
सनातन के सिद्धांत बड़े सरल हैं! यहां पुनर्जन्म की मान्यता है! विवाह संस्कार तक सात जन्मों के माने जाते हैं, मगर उसमे फिर ऐसा नहीं होता कि, जिस जन्म में पति राजा हो तो उसे मान लो वरना जिस किसी जन्म में रंक बने तो त्याग दो!
सनातन के हर सिद्धांत के पीछे का दर्शन शास्त्र भी उतना ही सरल है! यहां उपरोक्त मान्यता का इतना भर स्पष्टीकरण है कि, बेटा अगर बाप के नाम का लाभ लेता है तो उसके ऋण का भार भी तो उसे ही उठाना पड़ेगा!
जय श्री राम 🙏