🛑फिल्म "द केरला स्टोरी" ने दिमाग झनझना दिया, भीतर तक हिला दिया है! जब तक फिल्म देख रहा था, अपनी कुर्सी से हिल-डुल भी नहीं पा रहा था। लगा कि जैसे किसी ने हाथ-पैर बांध दिये हों। ऐसा सभी दर्शकों के साथ हो रहा था, कोई अपनी कुर्सी से एक पल के लिए भी हिल-डुल नहीं रहा था। कोई बातचीत नहीं, एक दम से सन्नाटा, पूरे सिनेमाहॉल में पसरी खामोशी!
इंटरवल के दौरान मैंने एक भी ऐसा चेहरा नहीं देखा, जो मुस्कुरा रहा हो। सभी चेहरे गमगीन और गंभीर थे। फिल्म खत्म होने के बाद देखा कि उन्हीं चेहरों पर गुस्सा साफ झलक रहा था।
माँओं के चेहरे डरे हुए थे, सहमे हुए थे। एक अंजाने डर से अपनी बेटियों के हाथ उन्होंने जोर से पकड़ रखे थे। यह फिल्म लव जेहाद को ठोस सबूतों के साथ स्थापित करती है।
अब तो ग्रेट ब्रिटेन जैसे खूले हुए समाज और मुल्क में भी भारतीय "लव जेहाद" से मिलते जुलते कांसेप्ट "ग्रूमिंग गैग" पर चर्चा आम हो गई है। "लव जेहाद" जैसी समस्या वहाँ भी उत्पन्न हो गई है। वोट की राजनीति के चलते अब तक यह मामला दबा हुआ था परंतु अब ग्रेट ब्रिटेन में भी इस पर खुल कर चर्चा हो रही है। वहाँ अब यह मुद्दा मीडिया की सुर्खियां और समाज का ध्यान बटोर रहा है।
सच कहू तो, फिल्म देखने के बाद मैं भी अंदर तक हिल गया हूँ। इस फिल्म ने मेरी सोच को प्रभावित किया है। पिता होने की वजह से मैं अब तक डरा हुआ हूँ, सहमा हुआ हूँ कि कहीं ऐसा कभी कुछ मेरी बेटी के साथ न हो जाये। कभी ऐसा कुछ हो गया तो मैं क्या करूंगा? स्थिति को कैसे संभालूगा?... फिल्म देखने के बाद मुझ जैसे बाप का डरना भी लाजमी है।
चारों मुख्य कलाकारों ने अपने किरदारों के माध्यम से गजब की अदाकारी की है। दर्शक अंदर तक सहम जाता है। फिल्म की कहानी पर राजनीति से थोड़ी प्रेरित होने का आरोप जरूर है लेकिन कहानी के पीछे की सच्चाई जानकर आप के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
निर्देशन थोड़ा सा ढीला है मगर कहानी दमदार है, हकीकत के काफी करीब है। फिल्म देखने के बाद अधिकांश दर्शक गंभीरता से सोचने पर विवश हो जाते हैं। अपने बच्चों के भविष्य के लिए फिक्रमंद हो जाते हैं, सावधान हो जाते हैं। इस दिशा में सोचने को मजबूर हो जाते हैं।... मैं भी मजबूर हो गया हूँ।
आप युवा हैं, अविवाहित हैं तो यह फिल्म जरूर देखें, क्योंकि भविष्य में आपके भी माता-पिता बनने की संभावना है। आप अभी किसी बेटी के माता-पिता हैं तो भी आप को फिल्म जरूर देखनी चाहिए, शायद आपकी आँखें खुल जायें, सावधान हो जायें?
आप अगर ठेक्युलरिजम में विश्वास करते हैं, तब तो आप को जरूर यह फिल्म देखनी चाहिए, क्या पता आप को गलती का एहसास हो और अपनी गलत विचारधारा पर ग्लानि महसूस हो?
मुझ से तर्क वितर्क की गुंजाइश हो सकती है पर मेरी बातों से गर आप असहमत हैं तो आप को एक बार ही सही, इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए!
धर्म और समाज को परे रखकर इस फिल्म को जरूर देखें। आपके रोंगटे न खड़े हो जायें तो फिर कहना। आपकी आँखें न खुलें तो कहना, आप सोचने पर मजबूर न हो जायें तो कहना।

