📌 कॉलेजियम सिस्टम :- CJI बोल रहे है कि जननांगों से पुरूष व स्त्री की कोई पहचान नहीं होती है... स्त्री पुरूष की पहचान उसके हावभावों से व उसके स्वभाव व आचरण से होनी चाहिए... (देश के कितने लोग सहमत होंगे इस तर्क से?)
— ईश्वरीय शक्ति द्वारा निर्धारित किये गए अंगो से पहचानने की व्यवस्था शास्त्रोपदेशीत हैं और इसके द्वारा सनातन संस्कृति के धर्मग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ मनु स्मृति की धारणाओं को सैद्धान्तिक बल मिलता है...
💥➖बस इसी मनु स्मृति की शारिरिक व्यवस्था की पहचान को झुठलाने का षड्यंत्र रचा गया है...
★- पुरूष-पुरूष के साथ सैक्स कर सकते हैं और महिला-महिला के साथ सैक्स कर सकती है आधुनिक विज्ञान में कामुकता के लिए पैदा की गई आयुर्वेदिक औषधियों के उच्च स्तरीय मिश्रण से तैयार की गई दवाओं का सेवन करते हुए...जैसा कि उच्च शिक्षा प्राप्त कुछेक नशेड़ियों ने ऐसा किया है और वो शारीरिक संबंध बनाने के साथ साथ स्वयं जैसे ही और लोगों को इस प्रकार की आसुरियत के लिए उकसाने हेतु सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले रहे हैं...
अंग्रेजों में यह प्रथा नशेडी प्रवृत्ति के कारण ज्यादा है... पुरूष के साथ पुरूष सैक्स करते हैं और एक महिला के साथ नशीली दवाओं का सेवन करते हुए अर्ध अचेत अवस्था में 5 से अधिक पुरुषों द्वारा सैक्स करते हुए वीडियो बनाकर उसे सभ्य समाज में गंदगी फैलाने के उद्देश्य से प्रचारित किया जाता है...
अंग्रेजों के साथ साथ चंगेज खान मंगोल द्वारा मार काट कर भगाए गए टोपिबाजों में भी अप्राकृतिक यौन संबंधों की धारणा बनी हुई है और वो लोग भी ऐसे ही पुरूष के साथ पुरूष व स्त्री के साथ स्त्री के सैक्स को प्राथमिकता देते रहे हैं...
चूंकि 1947 के बाद भारत में रुके हुए अंग्रेजों के वंशजों व चंगेज खान के डर से भारत में आए हुए लोगों के वंशजों में यह कुरीतियां लगातार जारी है... इसी के कारण सुप्रीम कोर्ट में ऐसे ही लॉबी द्वारा याचिका दायर किया गया है...
2014 के बाद सत्ता सनातनी हिन्दूओ के हाथों में है और सनातन संस्कृति के हिन्दूधर्मध्वजावाहकों द्वारा लगातार ईश्वरीय व्यवस्था को बर्बाद करने वाले प्रकल्पों व लोगों को काबू में करने के काम करने की इच्छा शक्ति नजर आने लगी है... और भारत देश पुनः अपनी पौराणिक ग्रंथों व मान्यताओं से चलाए जाने की ओर अग्रसर हो रहा है...
➖तो एकाएक अंग्रेजी सभ्यता व जिहादी सभ्यताओं के लोगों को भारत में अपनी मनमानी करने के अवसर आने वाले समय में समाप्त होते दिखाई दे रहे हैं...
नए संसद भवन में बैठने वाले सनातन संस्कृति के हिन्दूधर्मध्वजावाहकों द्वारा मानव सभ्यता का सर्वश्रेष्ठ ग्रँथ मनु स्मृति के अनुसार मनुष्यों को चलने की सीख देते यमनियमों को लागू करने का डर वर्तमान समय के इन उच्च शिक्षा प्राप्त आधुनिक असुरों को लगने लगा है...
यह सब लोग मिलकर आने वाले समय में इनको काबू में करने वाले नियमों को बनाने से पहले ही अपने लिए इस वर्तमान समय के अंग्रेजी भाषा के संविधान के द्वारा ऐसे ऐसे नियम बनवाना चाहते हैं जिसके द्वारा भविष्य में इन्हें कोई काबू में भी नहीं कर सके...
वरना आप सोचिए कि कितने शर्म की बात है कि एक औरत की कोख से एक पुरूष के साथ सैक्स करते हुए गर्भधारण करने वाली एक स्त्री के गर्भ से जन्म लेने वाले साहब कोर्ट में शीर्ष न्यायाधीश न्यायमूर्ति बनकर एक ऐसे विषय पर अपनी बात रख रहे हैं जिस बात को सोचना भी पाप के समान हवा करता है है... इस प्रकार आसुरियत व्यवस्था को समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट अपनी पश्चिमी सभ्यता को लागू करने का पाप करना चाहते हैं...
इससे पहले कि सुप्रीम कोर्ट सनातन संस्कृति का पतन करने वाले निर्णय ले सके... तत्काल प्रभाव से लोकतांत्रिक व्यवस्था से चुनी हुई सरकार को कॉलेजियम व्यवस्था समाप्त करने का काम कर लेना चाहिए...
यह काम वर्तमान विपक्षी दल करने नहीं देंगे यह हमें मालूम है... परन्तु मुझे यह भी विश्वास है कि वर्तमान हिन्दू नेतृत्व इन नर+मादा पिशाचों को काबू में करने का कोई तोड़ अवश्य निकाल ही लेंगे...
इन्हें रोका नहीं गया तो ये लोग खुलेआम आसुरियत का प्रदर्शन करने की छूट दे देंगे... चौराहों पर खुलेआम पुरुष-पुरुषों के साथ सेक्सबाजी करता मिलेगा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की तख्तियां हाथों में लिए...
चौराहों चौराहों पर औरतें-औरतों के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करती हुई नजर आएंगी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की तख्तियां हाथों में लहराते हुए...
— फिर कैसे रिश्ते रहेंगे और कैसी मानव सभ्यता... आप स्वयं सोच लीजिए..._ कि ये मिट्ठे हिन्दूओ के देश को कहाँ ले जाना चाहते हैं....
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