देश के लिए बड़े शर्म की बात है कि एक isi जैसे इस्लामिक आतंकी संगठन से संबंध रखने वाले गैंगस्टर / आतंकी / हैवान अतीक अहमद के लिए "शहीद रहे" और "अमर रहे" जैसे नारे लगाए जा रहे हैं कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं। लेकिन इस गंभीर विषय पर स्वत संज्ञान लेने वालों का कभी ध्यान नहीं जाएगा।
मुस्लिम समुदाय के लोग पश्चिम बंगाल में आतंकी अतीक अहमद के लिए कैंडल मार्च निकालते हैं और जुम्मे के दिन नमाज पढ़ने के बाद खुलेआम सड़कों पर शहीद अतीक अहमद अमर रहे जैसे नारे लगाते हैं साथ ही मोदी योगी मुर्दाबाद के नारे भी लगाते हैं। फिर कहते हैं हमारी देशभक्ति पर प्रश्न खड़े मत करो।
आज इन्हें यह दिख रहा है कि कानून ने अतीक अहमद को गलत तरीके से मारा। यह जानते हैं कि वह कितना बड़ा अपराधी था लेकिन फिर भी कहते हैं कि यदि उसे फांसी होती कानून तरीके से उसे सजा होती तो हम कुछ नहीं कहते (उसे फांसी न हो उसके लिए भी इनके संगठन एड़ी से चोटी तक का जोर लगाते) लेकिन उसे प्लांड वे में मारा गया इसलिए हम उसे शहीद कहेंगे अमर कहेंगे? लेकिन असली कारण यह है कि अतीक अहमद इस्लामिक बस्तियां बना रहा था, मुस्लिमों को बसाने के लिए बस्तियों पर कब्जा कर रहा था डेमोग्राफी बदलने का प्रयास कर रहा था। "एक लाइन में कहे तो गजवा ए हिंद के लिए कार्यरत था" इसलिए समुदाय विशेष उस जेहादी आतंकी का समर्थन कर रहे हैं।
बहुत दुःख की बात है की समुदाय विशेष के कटटरपंथी आतंकियों का , दंगाइयों का , देशद्रोहियों का खुलेआम समर्थन करते हैं लेकिन उनपर कोई ख़ास कार्यवहि नहीं होती , देश में बैठे कुछ बुद्धिजीवी, इंटेलेक्टुअल्स, नेता आदि भी आतंकियों, देशद्रोहियों का समर्थन करते पाए जाते हैं लेकिन उनपर भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती.
ये सब देखते हुए ये कहना गलत नहीं की " सरकार किसी की भी हो सिस्टम .....".
जब तक देशद्रोहियों, आतंकियों, अपराधियों का गुणगान करने वालों पर कार्यवाही नहीं होगी, जब तक दुष्टों के मानवाधिकार देखे जायेगे (जिन्होंने न जाने कितनो के जीवन बर्बाद किये हों , उनसे जीने का अधिकार छीना हो ) तब तक देश का सही मायने में ना विकास संभव है ना ही देश की सुरक्षा पूरी है ...
बाबासाहेब आम्बेडकर के कुछ विचार जो अक्षरसः सत्य होते नजर आ रहे हैं जो हर राष्ट्रभक्त सनातनी को पढ़ने , समझने , याद रखने और फ़ैलाने चाहिए
बाबासाहेब आम्बेडकर ने सही तो कहा था की वतन के बदले कुरान के प्रति वफादार होते है मुश्लिम, साथ ही ये भी बताया था की कोई भी मुस्लिम उसी क्षेत्र को अपना देश मानेगा, जहाँ इस्लाम का राज चलता हो। , और सबसे जरुरी बात बाबासाहब ने कही थी की जिस भाईचारे की बात इस्लाम करता है वो मुश्लिमों के बीच आपसी भाईचारा है ...
“इस्लाम में जिस भाईचारे की बात की गई है, वो केवल मुस्लिमों का मुस्लिमों के साथ भाईचारा है। इस्लामिक बिरादरी जिस भाईचारे की बात करता है, वो उसके भीतर तक ही सीमित है। जो भी इस बिरादरी से बाहर का है, उसके लिए इस्लाम में कुछ नहीं है- सिवाय अपमान और दुश्मनी के।
बाबासाहब ने कहा था कि इस्लाम कभी भी किसी भी अपने अनुयाई को यह स्वीकार नहीं करने देगा कि भारत उसकी मातृभमि है। बाबासाहब के अनुसार, इस्लाम कभी भी अपने अनुयायियों को यह स्वीकार नहीं करने देगा कि हिन्दू उनके स्वजन हैं, उनके साथी हैं। पाकिस्तान और विभाजन पर अपनी राय रखते हुए बाबासाहब ने ये बातें कही थीं।