चीन में उइगर मुसलमानों के रोजा रखने पर पूरी तरह पाबंदी की खबरें आ रही हैं, और तो और जातीय सफाए के लिए नशबंदी की भी खबरें आ रही हैं और अंगों की तस्करी को भी बात कहीं जा रही है।
उइगर मुस्लिमों पर चीन का कहर जारी है। रजमान के महीने में रोजा रखने की भी उन्हें इजाजत नहीं है। कोई मुस्लिम रोजा ना रख सके, इसके लिए चीन जासूसों की मदद ले रहा है। चीन ने जासूस के रूप में आम लोगों को ही रखा है। चीनी अधिकारी इन्हें ‘Ears’ कहते हैं। बता दें कि साल 2017 से ही चीन ने मुस्लिमों को रोजा रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मुख्य बात यह है कि इतना कुछ होने के बाद भी चीन के उइगर मुसलमानों के लिए कोई आवाज नहीं उठाता छोटी-छोटी बातों पर पूरे विश्व में नंगा नाच करने वाले लोग भी इनके लिए आवाज नहीं उठाते ना कोई मानवाधिकार वाला उनके लिए बोलता। हर किसी को यदि मुस्लिम कहीं पीड़ित नजर आते हैं तो वह भारत में जबकि भारत में उन्हें सारी सुविधाएं "हिंदुओं से भी ज्यादा" दी जा रही है।
चीन में रोजा रखने पर जो पाबंदी 2017 से लगाई हुई है उसमें 2000 2122 में थोड़ी सी ढील दी गई थी लेकिन इस साल फिर चीन ने रोजा पर प्रतिबंध लगा दिया।
दरअसल, मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत में उइगर विद्रोहियों को लगभग खात्मा कर चुका चीन इस्लामी कट्टरपंथ पर नकेल कसने के लिए मजहब को पूरी तरह नियंत्रित कर रहा है। इस्लाम को दबाने का काम साल 2018 के बाद से शुरू हुआ, जब चीनी कैबिनेट ने एक गुप्त निर्देश पास किया कि मस्जिदों और मदरसों में अरब के बढ़ते प्रभाव को रोका जाए।
इसके बाद उनकी धार्मिक पहचान मिटाने के लिए वेश-भूषा, खानपान, भाषा से लेकर संस्कृति और इतिहास तक मिटाया जा रहा है। मस्जिदों को ढहा दिया गया, अरबी पढ़ने पर रोक लगा दी, बुर्का और नमाजी टोपी पहनने पर रोक लगा दी गई।
चीन में उइगर मुस्लिमों की आबादी घटना के लिए चीन योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहा है। चीन सिर्फ एक निकाह करने की इजाजत दे रहा है। इसके साथ ही मुस्लिम पुरुषों की जबरदस्ती नसबंदी की जा रही है। यहाँ तक उइगर महिलाओं को नियमित रूप से प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया जाता है और उनका जबरन गर्भपात करा दिया जाता है। उनके गर्भाशय में यंत्र फिट कर गर्भधारण की जानकारी जुटाई जाती है।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में स्थित अख़बार ‘द हेराल्ड सन’ ने साल 2021 में खुलासा किया था कि चीन उइगर मुस्लिम के अंगों की तस्करी भी कर रहा है और उससे धन कमा रहा है। उइगर मुस्लिमों के स्वस्थ लिवर को चीन 1,60,000 डॉलर्स (1.20 करोड़ रुपए) में बेचा जा रहा है।
अख़बार ने दावा किया था कि इस तरह के धंधों से चीन को 1 बिलियन डॉलर (7492 करोड़ रुपयों) की कमाई हो रही है। इसका अर्थ है कि चीन के जिन प्रताड़ना कैंपों (Detention Centres) में इन उइगर मुस्लिमों को रखा जा रहा है, वहाँ जबरदस्ती उनके अंग निकाल लिए जाते हैं।