पंचांग, वैशाख कृष्ण ०४, २०८०
गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 02 (सांख्ययोग) श्लोक 26
आज का पंचांग
सोमवार, १०/०४/२०२३,
वैसाख कृष्ण, ०४, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी सुबह 08:37 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅दिनांक - 10 अप्रैल 2023
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - अनुराधा दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅योग - व्यतिपात रात्रि 08:12 तक तत्पश्चात वरीयान
⛅राहु काल - सुबह 07:38 से 09:33 तक
⛅सूर्योदय - 06:24
⛅सूर्यास्त - 06:58
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:38 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:04 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - व्यतिपात योग (रात्रि 08:12 तक)
⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 व्यतिपात योग - 09 अप्रैल 2023 🌹
🌹 पुण्यकाल : 09 अप्रैल रात्रि 10:14 से 10 अप्रैल रात्रि 08:12 तक ।
🌹व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल 01 लाख गुना होता है । -वाराह पुराण
🔹मृतक की सद्गति के लिए इतना तो जरूर करें🔹
🔸 सत्संग-वचनामृत में आता है : "पड़ोस में कोई मर जाय तो और कुछ न कर सको तो केवल एक भला काम करना कि तुलसी की सूखी लकड़ियाँ उसके घर दे आओ । और घरवालों को हाथ जोड़ के बोल दो कि "मेरी सेवा स्वीकार करो । मृतक व्यक्ति के अग्नि-संस्कार के समय तुलसी की सूखी लकड़ियाँ उसके मुँह पर, आँखों पर, छाती पर रखना अथवा घास-फूस के साथ तुलसी की लकड़ियों से अग्नि- संस्कार करना ।
🔸इससे मृतक व्यक्ति को यदि नीच योनि मिलनेवाली होती है तो नहीं मिलती, वह नरक में नहीं जाता, उसकी सद्गति हो जाती है । ऐसा भगवान का विधान है ।"
🔸घर में किन्हींका शरीर शांत हो गया हो तो दोनों हाथ ऊपर करें और सूर्यनारायण के सामने दोनों बगल दिखा के मन-ही-मन प्रार्थना करें कि 'हे सूर्यदेव ! यमराज आपके पुत्र हैं; हमारे पिताजी की, हमारे दादा-दादी की (जिनका भी शरीर शांत हुआ हो) सद्गति हो, उन्हें सुख देना ।' इससे उनको बहुत फायदा होता है, बहुत ऊँची गति होती है ।
🔹इन आठ पुष्पों से भगवान तुरंत प्रसन्न होते हैं । वे आठ पुष्प इस प्रकार हैं :-
🔸 (१) इन्द्रियनिग्रह : व्यर्थ देखने, सूँघने, सोचने, इधर-उधर व्यर्थ जगह पर भटकने की आदत को रोकना इसको कहते हैं इन्द्रियनिग्रहरूपी पुष्प ।
🔸 (२) अहिंसा : मन-वचन-कर्म से किसीको दुःख न देना ।
🔸 (३) निर्दोष प्राणियों पर दया : मूक एवं निर्दोष प्राणियों को न सताना । दोषी को अगर दंड भी देना हो तो उसके हित की भावना से देना ।
🔸 (४) क्षमारूपी पुष्प ।
🔸 (५) मनोनिग्रह (शम) : मन को एक जगह पर लगाने का अभ्यास करना, एकाग्र करना ।
🔸 (६) ध्यान: भगवान का ध्यान करना ।
🔸 (७) सत्य का पालन ।
🔸 (८) श्रद्धा : भगवान और भगवान को पाये हुए महापुरुषों में दृढ़ श्रद्धा रखना ।
🔹इन सात गुणों से सम्पन्न विद्यार्थी छू लेगा बुलंदियाँ
🔸'उत्साही, अदीर्घसूत्री (कार्य को शीघ्र पूर्ण करनेवाला), क्रिया की विधि को जाननेवाला, व्यसनों से दूर रहनेवाला, शूर, कृतज्ञ तथा स्थिर मित्रता वाले मनुष्य को सफलताएँ, सिद्धियाँ स्वयं ढूँढ़ने लगती हैं ।'
🔹हे विद्यार्थी ! कल्याण करनेवाली ये सात बातें अच्छी तरह से अपने जीवन में लाना । मित्र करो । उत्साहरहित नहीं, उत्साही बनो। दीर्घसूत्री (कार्य को देर से करनेवाला) नहीं, अदीर्घसूत्री हो । आज पढ़ने का पाठ कल पढ़ेंगे, बाद में करेंगे, ऐसा नहीं । जिस समय का जो काम है वह उस समय कर ही लेना चाहिए, बाद के लिए नहीं रखना चाहिए । काम करने की विधि को ठीक तरह से जान लो फिर सुनियोजन करके काम शुरू करो ।
🔹फास्ट फूड, डबल रोटी, पीजा, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय-कॉफी, पान-मसाला - ये सत्यानाश करते, करते और करते ही हैं । इसलिए इनके सेवन से बचो ।
🔹डरपोक जैसे विचार नहीं, शूरवीर जैसे विचार करो । किसीका उपकार न भूलो । अस्थिर मित्र नहीं, सज्जन, अच्छे मित्र बनाओ। परम स्थिर मित्र तो परमात्मा है, उसका तुम ध्यान करो । बाहर भी अच्छे, चरित्रवान, सत्संगी स्थिर मित्र करो ।
🔹विद्यार्थी ये सात गुण जिस विद्यार्थी के जीवन में हैं, जिस मनुष्य के जीवन में हैं, आज नहीं तो कल सफलता उसके चरण चूमती है ।
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