एक अद्भुत और संवेदनशील व्यक्तित्वतारिक फतेह साहब हमारे बीच नहीं रहे....
एक निड़र व्यक्तित्व जो हमेशा अपनी मान्यताओ और अपनी पहचान के लिये संघर्षरत रहे....कठमुल्लापन के विरुद्ध जिंदगीभर लड़ते रहे
जिनकी बातो मे प्रमाणिकता और पारदर्शिता थी...
उनके तथ्य और तर्क अकाट्य थे।
परमात्मा इनकी आत्मा को शांति प्रदान करे....
विनम्र श्रद्धांजली.....
उनका जन्म 20 नवंबर, 1949 को कराची में हुआ था। उनका परिवार विभाजन के दौरान बॉम्बे से कराची चला गया था। 60 और 70 के दशक में उन्होंने एक क्रांतिकारी छात्र नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। फिर वो अपनी बेधड़क पत्रकारिता के ले पहचाने जाने लगे। पाकिस्तान की सरकार और फ़ौज को उनका ये रवैया पसंद नहीं आया, जिस कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उन्हें पाकिस्तान छोड़ कर कनाडा में शरण लेनी पड़ी।
भारत के कई न्यूज़ चैनलों पर तारिक फ़तेह हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में अपनी बात रखते हुए और बहस में हिस्सा लेते हुए दिखते थे। ‘आप की अदालत’ में रजत शर्मा ने उनका इंटरव्यू लिया था, जो ‘इंडिया टीवी’ पर आया था और खासा वायरल हुआ था। वो अक्सर तथ्यों और इतिहास को सामने रख कर पाकिस्तान को बेनकाब कर देते थे। वो कहते हैं कि कट्टरपंथी ‘मुल्ला का इस्लाम’ में मानते हैं जबकि वो ‘अल्लाह के इस्लाम’ में भरोसा रखते हैं।
अब इनकी मृत्यु के खबर के बाद कट्टरोंथी खुशी मनाते नजर आए क्योंकि उनकी नंगी सच्चाई दिखाने वाला एक व्यक्ति दुनिया से विदा ले गया.
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