हाल ही में जर्मनी ने भारत की आबादी का भद्दा मजाक बनाया, यह सिद्ध करता है कि हिटलर भले ही 1945 में मर गया हो लेकिन जर्मनी की जड़ो में नस्लवाद आज भी है।
लेकिन हमें ज्यादा सोचने की आवश्यकता नही है क्योकि इतना मानकर चलिए की जब तक भारत प्रगति करता रहेगा तब तक हर वो देश जो सुपरपॉवर है या बनने की आकांक्षा रखता है वह भारतीयों को हतोत्साहित करने का प्रयास अवश्य करेगा।
यही कारण था कि अमेरिका और सोवियत संघ ने कभी भारत पाकिस्तान के बीच शांति रहने नही दी और पाकिस्तान की फंडिंग चलती रही। 2015 तक जब रूस ने देखा कि अब भारत अमेरिका के साथ रक्षा समझौते कर रहा है तो रूस ने पाकिस्तान को हथियार बेचने शुरू किए।
ये सब व्यापार तो है ही लेकिन एक षडयंत्र भी है पाकिस्तान को भारत के विरुद्ध प्रयोग करने का। जरा सोचकर देखे की हमारे पड़ोस में पाकिस्तान ना हो तो हमारी वृद्धि दर क्या हो? मगर ठीक है अब जो है सो है।
अब बात जर्मनी की करे तो जर्मनी की महत्वाकांक्षाएं किसी से छिपी नही है, दो बार के विश्वयुद्ध इसी के महत्वाकांक्षा के परिणाम मात्र थे। ऐसे में एक एशियाई देश सुपरपॉवर बनने की ओर अग्रसर हो ये जर्मनी भी नही चाहेगा। भारत और जर्मनी की जीडीपी में अब उतना ज्यादा अंतर बचा भी नही है, 2024 के अंत तक भारत उससे आगे निकल जायेगा।
यही कारण है कि जर्मनी ने भारतीयों को नीचा दिखाने वाला कार्टून बनाया, अक्सर ये स्कूलों में बच्चे करते है जब दूसरे का टिफिन या बोतल अच्छा लगता है तो वे उसमें बने किसी कार्टून का मजाक बनाते है। बस कुछ वैसा ही राष्ट्रीय स्तर पर हुआ।
आप अमेरिका को ही देख लीजिये कोरोना तक पाकिस्तान का शत्रु बना हुआ था लेकिन अब जब अफगानिस्तान में हार गया और चीन की दुर्गति देख ली। उसके पश्चात उसकी प्रतियोगिता की सुई भारत की ओर घूम गयी। पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से निकल गया, पाकिस्तान में प्रो अमेरिका सरकार बन गयी। ये सब भारत पर दबाव बनाने के लिये था।
रूस के विदेश मंत्री ने ज्यादा नही 2 साल पहले कहा था कि रूस पाकिस्तान को और हथियार देगा लेकिन अब खुद ही इतना बड़ा ब्लंडर किये बैठे है कि 2023 में कह रहे है कि हम डिस्काउंटेड तेल भी पाकिस्तान को नही देंगे।
यही है जिओपोलिटिक्स या भू राजनीति, रूस यूक्रेन युद्ध आज नही तो कल समाप्त हो जाएगा। उसके बाद फिर हित स्वार्थ बदल जाएंगे लेकिन जिस गति से भारत आगे बढ़ रहा है उस हिसाब से इतना तो तय है कि कई देशों को मिर्ची तो लगेगी।
भारत के लिये बड़े स्तर पर हथियार अब DRDO ही बनाने लगा है यह मेक इन इंडिया के लिये बड़ा बूस्ट है। आज से 3 साल पहले ब्रिटेन ने भी मजाक बनाया था लेकिन जब उनकी अर्थव्यवस्था को पछाड़ा तो वे ही अंग्रेज फ्री ट्रेड अग्रीमेंट की बाते करने लगे।
इसलिए हाथी की तरह चलते रहे और कुत्तों को भौकने दे।