गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 02 (सांख्ययोग) श्लोक 24
आज का पंचांग
शनिवार, ०८/०४/२०२३,
वैसाख कृष्ण, ०२, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह 10:10 तक तत्पश्चात तृतीया
🌥️दिनांक - 08 अप्रैल 2023
⛅दिन - शनिवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - वैशाख
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - स्वाती दोपहर 01:59 तक तत्पश्चात विशाखा
⛅योग - वज्र रात्रि 11:59 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅राहु काल - सुबह 09:34 से 11:08 तक
⛅सूर्योदय - 06:26
⛅सूर्यास्त - 06:58
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:40 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:04 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹
🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)
🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹
🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।
🔸ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यो ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः सुबह एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें जिससे नीचे बताये समय में खुलकर भूख लगे ।
👉 प्रातः ३ से ५ -(इस समय जीवनीशक्ति फेफड़ों में सक्रिय होती है ।)
इस समयावधि में थोड़ा गुनगुना पानी पीकर 'खुली हवा' में घूमना एवं प्राणायाम करना चाहिए ।
👉 सुबह : ५ से ७ (बड़ी आँत में) - प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल त्याग व स्नान कर लें । ५ से ७ (सुबह ७ बजे के बाद जो मल त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ घेर लेती हैं ।)
👉 सुबह ७ से ९ : (आमाशय या जठर में)- दूध या फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं । (भोजन के २ घंटे पूर्व)
👉 सुबह ९ से ११ : (अग्न्याशय व प्लीहा में) - यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है ।
👉 दोपहर ११ से १ : (हृदय में)- दोपहर १२ बजे के आसपास (मध्यह्न- संध्या) ध्यान, जप करें । भोजन वर्जित है ।
👉 दोपहर १ से ३ : (छोटी आँत में)- भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए ।
👉 दोपहर ३ से ५ : (मूत्राशय में)- २-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र त्याग की प्रवृत्ति होगी ।
👉 शाम ५ से ७ : गुर्दों में (Kidneys)- इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें अपितु संध्या करें ।
👉 रात्रि ७ से ९ : (मस्तिष्क में)- इस समय मस्तिष्क विशेषरूप से सक्रिय रहता है । अतः पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।
👉 रात्रि ९ से ११ : (मेरूरज्जु में)- इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांतिप्रदान करती है ।*l
👉 रात्रि ११ से १ : (पित्ताशय में)- इस काल में जागरण पित्त बढ़ाता है ।
👉 रात्रि १ से ३ : (यकृत में)- इस काल में जागरण से पाचनतंत्र बिगड़ता है ।
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