पिछले साल हनुमान जन्मोत्सव पर 16 अप्रैल 2022 को जहाँगीरपुरी में शोभायात्रा पर कट्टरपंथी मुस्लिमों के समूह ने पथराव कर दिया था। इसके बाद इलाके में साम्प्रदायिक तनाव फैल गया था। तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी। हमले में 8 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। इसीको देखते हुए या ये कहें की कट्टरपंथियों के डर से दिल्ली पुलिस ने न तो रामनवमी पर शोभयात्रा की अनुमति दी और न ही अब हनुमान जन्मोत्सव पर शोभयात्रा की अनुमति दी गयी है
ये सब देखते हुए ये कहने क्या गलत होगा की कट्टरपंथी जेहादी अपने षड्यंत्र में सफल हुए? क्योंकि वो तो चाहते ही यही हैं की हिन्दू अपने त्योंहार न मनाएं, शोभयात्राएँ ना निकालें और इसीलिए शोभयात्रा पर हमला करते हैं ताकि पुलिस प्रशाशन शांति व्यवस्था के नाम पर हिन्दुओं को शोभयात्राओं की अनुमति ही न दे
ये कहना भी क्या गलत होगा की हमारा प्रशासन उपद्रवियों के सामने हथियार टेकरहा है और उनके अजेंडे के अनुरूप हिन्दुओं को ही उनके त्योंहार मानाने से रोक रहा है ?
आखिर क्यों प्रशासन उपद्रवियों पर कठोरतम कार्यवाही करके उन्हें नहीं रोक पाता और पीड़ित हिन्दुओं को ही उनके त्योंहार मानाने से बलपूर्वक रोक देता है ? सारा बलप्रयोग केवल हिन्दुओं पर ही क्यों? क्या हिन्दू कानून और संविधान का सम्मान करते हैं और उनके अनुशार चलते हैं इसलिए उनपर कानूनी प्रक्रिया से भी अत्याचार किये जा रहे हैं ?
रामनवमी में जो हरकतें कट्टरपंथी जेहादियों ने की यदि प्रशासन उनपर कठोर कार्यवाही करे तो जेहादियों को भी कानून का भय लगे और वापस वो ऐसी हरकतें करने से बचते नजर आएं, तभी देश में शांति व्यवस्था भी बने और हिन्दुओं के अधिकारों का हनन भी न हो .
लेकिन दुर्भग्यपूर्ण है की कुछ जगहों पर तो "रमजान में वो गलत काम नहीं करते " बोलकर क्लीन चिट दी जाती है तो कुछ जगहों अपर हिन्दुओं को ही प्रताड़ित किया जाता है जिससे इन कट्टरपन्ति जेहादियों के हौंसले और बुलंद होते हैं और हिन्दुओ के ही अधिकारों का हनन बार बार होता है उनसे उनकी धार्मिक स्वतंत्रता छीनी जाती है