जलियांवाला बाग के समय भारतीयों पर फायरिंग करने वाले सभी सिपाही भारतीय ही थे एक भी अंग्रेज नहीं था... जनरल डायर ने सिर्फ आदेश दिया था और उस आदेश पर हुकुम बजाने वाले सब के सब भारतीय थे।
अंग्रेजों की सेना में 85% भारतीय 10% नेपाली और मात्र 5% अंग्रेज थे...
ब्रिटिश काल में अंग्रेजों की जो पुलिस सेवा थी उसमें 95% भारतीय थे सिर्फ बड़े रैंक पर ही अंग्रेज थे।
पंडित गोविंद बल्लभ पंत का सर फोड़ने वाला पुलिस अधिकारी अंग्रेज नहीं बल्कि भारतीय था। लाला लाजपत राय का सर फोड़ने वाला भारतीय था भले ही आदेश सैंडर्स ने दिया था।
मेरा कहने का मतलब यह है कि हम भारतीयों को बस सरकारी नौकरी और पेंशन का जुगाड़ हो जाए फिर चाहे हमसे अंग्रेज नौकरी करवा ले या मुगल नौकरी करवा ले या कोई भी नौकरी करवा ले...
इतना ही नहीं इन्हीं अंग्रेजों ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को नौकरी और पेंशन का लालच देकर एक एग्रीमेंट साइन करवाया क्योंकि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग एग्रीमेंट शब्द नहीं बोल पा रहे थे इसलिए उन्होंने उस शब्द को गिरमिट कहा और जो जो लोग उस एग्रीमेंट को साइन किए थे उन्हें गिरमिटिया कहा गया...
अंग्रेजों ने लालच दिया था कि हम तुम्हें एक दूसरे देश ले जा रहे हैं जहां तुम्हें शानदार नौकरी और पेंशन मिलेगी।
दरअसल अंग्रेजों ने जब देखा कि मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम, फिजी, बारबाडोस, त्रिनिडाड, टोबागो और दूसरे तमाम कैरेबियन दीपों की जमीन गन्ना उगाने के लिए बहुत ही उपजाऊ है, तब उन्होंने गन्ना उगाने में महारत रखने वाले पूर्व उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को सरकारी नौकरी और पेंशन का लालच देकर कोलकाता से जहाजों में भर के उन्हें उन सभी द्वीपों पर ले गए और उन्हें वहां बंधुआ मजदूर बना दिया और उनसे जमकर काम करवाया।
सच्चाई यह है हमारे अंदर देशभक्ति नहीं है देशभक्ति तो सिर्फ जापान जर्मन लोगों के अंदर होती है।