वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाते हैं. इस तिथि को माता सीता का प्राकट्य हुआ था. इस कारण से इस दिन को सीता जयंती भी कहते हैं.
सीता जी के पिता मिथिला के राजा जनक जी थे, इसलिए सीता जी को जानकी भी कहा जाता है. इस तरह से सीता नवमी जानकी नवमी के नाम से भी जानी जाती है. सीता नवमी राम नवमी से ठीक एक माह बाद आती है. चैत्र शुक्ल नवमी को भगवान राम का प्राकट्य हुआ था और वैशाख शुक्ल नवमी को माता सीता की उत्पत्ति हुई थी.
सीता नवमी कथा (Sita Navami Katha)मिथिला राज्य में बहुत लंबे समय तक वर्षा नहीं हुई, जिसके कारण वहां की प्रजा तथा वहां के राजा जनक बहुत चिंतित थे. तब राजा जनक ने ऋषियों से इस समस्या का समाधान पूछा तो उन्होंने राजा जनक को बताया कि यदि वे स्वयं हल चलाएं तो इंद्रा देवता बहुत प्रसन्न होंगे और राज्य में वर्षा होने लगेगी. ऋषियों के सुझाव के मुताबिक राजा ने स्वयं हल चलाना शुरू किया. हल चलाने के दौरान उनका हल एक कलश से टकराया, जिसमें एक बहुत सुंदर बच्ची थी.
राजा जनक निःसंतान थे, इसलिए उस बच्ची को देखकर वे बहुत ख़ुश हुए और उन्होंने उस बच्ची को अपना लिया और अपने घर ले आए. राजा ने उस बच्ची का नाम रखा सीता. जिस दिन राजा जनक को वह प्यारी सी बच्ची सीता मिली थी, वह वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी. तभी से इस दिन को सीता नवमी या जानकी नवमी के नाम से मनाया जाने लगा.
सीता नवमी 2023 तिथि मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 28 अप्रैल दिन शुक्रवार को शाम 04 बजकर 01 मिनट से हो रहा है. यह तिथि अगले दिन 29 अप्रैल शनिवार को शाम 06 बजकर 2 मिनट पर खत्म हो जाएगी. ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार सीता नवमी 29 अप्रैल को मनाई जाएगी.
सीता नवमी 2023 पूजा मुहूर्त
29 अप्रैल को सीता नवमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 19 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और यह दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. ऐसे में सीता नवमी के दिन पूजा के लिए 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा