राजस्थान में लागू हुआ है राइट टू हेल्थ बिल का जमकर विरोध हो रहा है डॉक्टर आंदोलन कर रहे हैं इसी बीच व्हाट्सएप पर एक अलग एंगल के साथ संदेश प्राप्त हुआ जिसकी सच्चाई तो केवल समय ही बता सकता है लेकिन कांग्रेसी सोच के कारण विचारणीय तो है...👇
क्या है वायरल संदेश
राजस्थान में "राइट टू हेल्थ" एक्ट पास हो गया है। इसके बाद हर राज्य में पास होगा।
आपने देखा होगा सरकारी अस्पतालो में "मुयलमान" भरे होते है। वही हाल अब हिंदुओ के निजी अस्पतालो का हो जाएगा।
इस एक्ट के कारण हिंदू डाक्टर के क्लीनिक में मुस्लिम, ईसाई, मुफ्त इलाज कराएंगे। हिंदू टैक्स देकर इस पैसे की भरपाई करेंगे। याने अब मुयलमानो के निजी अस्पताल में इलाज का उत्तरदायित्व भी हिंदुओ के सिर आ गया है।
साथ में ये मुयलमान हिंदू डॉक्टरो, नर्स व स्टाफ़ की पिटाई भी किया करेंगे।
ये देखकर हिंदू डाक्टर पहले तो मुस्लिम पार्टनर या मैनेजर रखेंगे। फिर धीरे धीरे मुस्लिम या ईसाई बन जाएंगे ताकि माइनोरिटी का टैग लगाकर बच जाएं
मुगलों या अंग्रेजों के समय इसी कारण बहुत धर्म परिवर्तन हुए। ये दोनों मूर्ति पूजकों के जीने का अधिकार छीन लेते हैं।
हिंदू बुद्धिजीवियों ने मुफ्तखोरी का ऐसा अफीम चटा रखा है कि जब फैक्ट्री का राष्ट्रीयकरण होता है तो हिंदू खुश होता है, स्कूल का राष्ट्रीयकरण होता है तो हिंदू खुश होता है, अस्पताल का राष्ट्रीयकरण हो रहा है तो हिंदू खुश है। उसे क्या। कमाने के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, दुबई, रियाद निकल लेगा, बेटी नर्स, कुक, टीचर, सेविका बनकर महानगरों और विदेश में भटकेगी।
एक बार ये सिद्धांत मान लिया गया है कि निजी व्यवसाय को सरकार आदेश दे सकती है कि किसे नौकरी दे, किसे कितने पैसे या मुफ़्त में सेवा दे, तो फिर हर व्यवसाय में इस तरह के क़ानून लागू हो जाएँगे। समाजवाद चाहे क्रांति से आये या इस तरह के क़ानूनो से, परिणाम सदैव वही होता है: अर्थव्यवस्था का संपूर्ण विनाश।
ये क़ानून डॉक्टरो पर नहीं, हम सबके बच्चों के भविष्य पर कुठाराघात है।