५. भक्तोंकी इच्छा पूर्ण करनेवाले
हनुमानजीको इच्छा पूर्ण करनेवाले देवता मानते हैं, इसलिए व्रत रखनेवाले अनेक स्त्री-पुरुष हनुमानजीकी मूर्तिकी श्रद्धापूर्वक निर्धारित परिक्रमा करते हैं । कई लोगोंको आश्चर्य होता है कि, जब किसी कन्याका विवाह निश्चित न हो रहा हो, तो उसे ब्रह्मचारी हनुमानजीकी उपासना करनेके लिए कहा जाता है । वास्तवमें अत्युच्च स्तरके देवताओंमें ‘ब्रह्मचारी’ या ‘विवाहित’ जैसा कोई भेद नहीं होता । ऐसा अंतर मानव-निर्मित है । मनोविज्ञानके आधारपर कुछ लोगोंकी यह गलतधारणा होती है कि, सुंदर, बलवान पुरुषसे विवाहकी कामनासे कन्याएं हनुमानजीकी उपासना करती हैं । परंतु वास्तविक कारण कुछ इस प्रकार है । लगभग ३० प्रतिशत व्यक्तियोंका विवाह भूतबाधा, जादू-टोना इत्यादि अनिष्ट शक्तियोंके प्रभावके कारण नहीं हो पाता । हनुमानजीकी उपासना करनेसे ये कष्ट दूर हो जाते हैं एवं उनका विवाह संभव हो जाता है ।
६. हनुमान जयंती कैसे मनाई जाती है ?
हनुमान जयंतीका उत्सव संपूर्ण भारतमें विविध स्थानोंपर धूमधामसे मनाया जाता है । इस दिन प्रात: ४ बजेसेही भक्तजन स्नानसंध्या कर हनुमानजीके देवालयोंमें दर्शनके लिए आने लगते हैं । प्रात: ५ बजेसे देवालयोंमें पूजाविधि आरंभ होती हैं । हनुमानजीकी मूर्तिको पंचामृत स्नान करवाकर उनका विधिवत पूजन किया जाता है । सुबह ६ बजेतक अर्थात हनुमान जन्मके समयतक हनुमानजन्मकी कथा, भजन, कीर्तन आदिका आयोजन किया जाता है । हनुमानजीकी मूर्तिको हिंडोलेमें रख हिंडोलागीत गाया जाता है । हनुमानजीकी मूर्ति हाथमें लेकर देवालयकी परिक्रमा करते हैं । हनुमान जयंतीके उपलक्ष्यमें कुछ जगह यज्ञका आयोजन भी करते हैं । तत्पश्चात हनुमानजीकी आरती उतारी जाती है । आरतीके उपरांत कुछ स्थानोंपर सौंठ अर्थात सूखे अदरकका चूर्ण एवं पीसी हुई चीनी तथा सूखे नारियलका चूरा मिलाकर उस मिश्रणको या कुछ स्थानोंपर छुहारा, बादाम, काजू, सूखा अंगूर एवं मिश्री, इस पंचखाद्यको प्रसादके रूपमें बांटते हैं । कुछ स्थानोंपर पोहे तथा चनेकी भीगी हुई दालमें दही, शक्कर, मिर्चीके टुकडे, निम्बका अचार मिलाकर गोपालकाला बनाकर प्रसादके रूपमें बाटते है । कुछ जगह महाप्रसादका आयोजन किया जाता है
७. हनुमान जयंतीके दिन हनुमानजीके नामका जप करनेका महत्त्व
हनुमान जयंतीके दिन हनुमानजीका तत्त्व अन्य दिनोंकी तुलनामें अत्यधिक मात्रामें १ सहस्र गुना रहता अधिक कार्यरत रहता है । इस कारण हनुमानजीकी चैतन्यदायी तत्त्वतरंगें पृथ्वीपर अधिक मात्रामें आकृष्ट होती हैं । इन तरंगोंका जीवको व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक, दोनों स्तरोंपर लाभ होता है । इन कार्यरत तत्त्वतरगोंका संपूर्ण लाभ पानेके लिए इस दिन ‘श्री हनुमते नमः ।’ नामजप अधिकाधिक करना चाहिए । इस नामजपको कैसे करें,यह समझनेके लिए आइए एक ध्वनिमुद्रिका अर्थात (audio) सुनते हैं…

८. हनुमान जयंतीके दिन की जानेवाली प्रार्थना
हे हनुमानजी, मैं अभी आपका नामजप आरंभ कर रहा हूं । आपको जैसे अपेक्षित है, वैसा भावपूर्ण नामजप आप ही मुझसे करवा लें । आपके चैतन्यको ग्रहण करनेकी मुझे क्षमता प्रदान करें । इस चैतन्यसे मेरे सर्व ओर सुरक्षाकवच निर्माण हो तथा आप ही मुझे सत्कार्यके लिए शक्ति प्रदान करें, यही आपके चरणोंमें प्रार्थना है !