कहीं भगवान परशुराम जी की मूर्ति तोड़ी, कहीं शिवाजी की फोटो फेंकी तो कहीं शिवाजी की जयंती मनाने से रोका गया।
ये सब काम कहीं और नहीं बल्कि हमारे अपने देश भारत में हो रहे हैं। एक तरफ तो हिंदू राष्ट्र भारत की मांग उठाई जा रही है और दूसरी तरफ हमारे धर्म और महापुरुषों का अपमान किया जा रहा है।
ये सब कारनामे कब तक चलते रहेंगे और कैसे रुकेंगे 👇वीडियो भी जरूर देखें
1 - उदयपुर के गोगुंदा में भगवन परशुराम जी की प्रतिमा को खंडित किया गया
राजस्थान के उदयपुर में स्थित गांव रवैया तहसील गोगुंदा में भगवान परशुराम जी की प्रतिमा को खंडित किया गया और इसका विरोध राजस्थान राज्य वित्त कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा जी द्वारा कलेक्टर को लेटर लिखकर किया गया।
लेकिन अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार केवल एक ही संगठन ने इसका विरोध किया है जबकि पूरे उदयपुर में इसका कड़ा विरोध होना चाहिए था और सभी संगठनों द्वारा ज्ञापन दिए जाने चाहिए थे ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी हरकत नहीं करता लेकिन जातियों में बटे हिंदू समाज के द्वारा ऐसा नहीं किया गया जिससे कि आने वाले समय में भी ऐसे और प्रकरण होंगे इसकी पूरी संभावना बनी रहती है
2 - JNU में छत्रपति शिवाजी महाराज की फोटो को फेंका
दिल्ली की JNU यानी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी जो हमेशा ही विवादों में घिरी रहती है वहां से भारत के टुकड़ों के राष्ट्रद्रोही नारे भी लग चुके हैं, अब 19 फरवरी छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती के दिन शिवाजी की फोटो को फेंक कर उन्हें अपमानित किया गया। एसएफआई के छात्र जो जेएनयू में पढ़ते हैं उन्होंने कहा जेएनयू में शिवाजी शिवाजी नहीं चलेगा।
विचारणीय और चिंतनीय बात यह है कि आखिर एक यूनिवर्सिटी यानी एक शिक्षा संस्थान में छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महापुरुष का नाम लेने या उनकी जयंती मनाने में क्या परेशानी है और जो लोग उनके नाम या जयंती मनाने को लेकर आपत्ति कर रहे हैं उन लोगों को देशद्रोही क्यों ना माना जाए और उन पर प्रशासन द्वारा कड़ी कार्यवाही क्यों नहीं की जानी चाहिए?
जेएनयू एक विवादित शिक्षण संस्थान रहा है जहां लगातार भारत भारत की संस्कृति के विरुद्ध भी कई प्रकरण हुए हैं जिन का विरोध भी किया गया लेकिन बात जस की तस है क्योंकि कथित विद्यार्थी जो कि देशद्रोह कर रहे हैं उन पर प्रशासन द्वारा कोई कड़ी कार्यवाही नहीं की गई।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर बताया है कि छात्र संघ के कार्यालय टेफलाज में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें वामपंथियों ने उपद्रव मचाते हुए तस्वीर फेंक दी। ABVP ने हमलावरों को देशद्रोही बताया है। एनबीटी ने एबीवीपी के हवाले से बताया है कि विरोधी छात्रों का कहना था कि ‘जेएनयू में शिवाजी-शिवाजी नहीं चलेगा’। एबीवीपी ने इन पर शिवाजी महाराज के साथ साथ फुले और महाराणा प्रताप के चित्रों का अपमान करने का भी आरोप लगाया है।
3 - लखनऊ उत्तर प्रदेश के मोहिद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय में छात्रों को शिवाजी जयंती मनाने से रोका गया रोकने वाले वर्णन का नाम है "आजम अंसारी" वीडियो 👇
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्विद्यालय के छात्रों का कहना है कि उन्हें देश के महापुरुषों की जयंती नहीं मनाने दी जा रही। उन्होंने कहा कि शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ लड़ाइयाँ लड़ीं, उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए लड़ते हुए बिता दिया। शिवाजी देश के प्रत्येक युवा के लिए आदर्श हैं।
छात्रों ने आगे कहा है कि उन्होंने सिर्फ शिवाजी की फोटो पर माला पहनाने का कार्यक्रम आयोजित किया था। लेकिन इसके बाद भी उन्हें रोका गया। इस मामले को बेवजह ही तूल दिया गया। छात्रों का आरोप है कि शिवाजी की जयंती मनाने पर विश्विद्यालय ने नोटिस देने की चेतावनी दी है।
यही नहीं, छात्रों ने हॉस्टल वार्डन आजम अंसारी के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जयंती मनाने से रोकना बेहद शर्मनाक है। वार्डन को शिवाजी द्वारा देश के लिए किए गए कामों और उनके महत्व को समझना चाहिए। छात्रों का आरोप है कि शिवाजी के बारे में कुछ भी जाने बिना ही वार्डन ने हॉस्टल परिसर में लगी शिवाजी की फोटो जबरन हटवा दी।
वीडियो में देख सकते हैं को, वार्डन आजम अंसारी छात्रों को शिवाजी की जयंती मनाने से रोक रहे हैं। अंसारी ने पहले तो छात्रों से कहा कि जयंती मनाना है तो अनुमति लेनी पड़ेगी। लेकिन जब छात्रों ने उनसे पूछा कि अनुमति मिलेगी तो उन्होंने कहा कि इसके लिए (शिवाजी की जयंती मनाने के लिए) अनुमति बिल्कुल नहीं मिलेगी। ,वीडियो में वार्डन को यह भी कहते हुए सुना जा सकता है कि जयंती मनानी है तो बाहर जाकर मंदिर में मनाओ।
इससे ये तो सिद्ध होता है की बाबासाहेब आंबेडकर ने बिलकुल सही कहा था 👇👇👇