इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि–"गुस्ताख–ए–नबी की एक सजा, सर तन से जुदा जैसे नारे लगाना केवल कानून नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता–अखंडता को सीधे चुनौती हैये नारे स्वतंत्रता या धार्मिक अधिकार के दायरे में नहीं आते बल्कि ये नारे हिंसा और विद्रोह के लिए उकसाने समान हैं"ऐसा कहते हुए HC ने 26 मई 2025 को बरेली में हुई हिंसा के आरोपी रिहान की जमानत अर्जी खारिज कर दी है
अब कहीं भी कोई ऐसे देश विरोधी नारे लगाए तो उसपर तुरंत प्रभाव से कानूनी कार्यवाही करवाई जानी चाहिए। इस तरह के नारे देश के लिए खतरा है और ऐसे नारे लगाकर देश का माहौल बिगाड़ने का प्रयास करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए तभी अन्य लोगों के लिए उदाहरण सेट होगा

