अडानी ग्रुप भारत की रक्षा इंडस्ट्री में ₹1.8 लाख करोड़ लगाने जा रहा है।सुनने में कॉरपोरेट न्यूज़ लगती है,लेकिन असल में यह खबर भारत के युद्ध भविष्य से जुड़ी है।अगर कल चीन से या पाकिस्तान से जंग छिड़ी और हमारे ड्रोन, मिसाइल पार्ट्स, गोला-बारूद या रडार सिस्टम विदेश से आने हों,तो वही देश “export रोक” लगा देंगे,जैसा रूस-यूक्रेन युद्ध में हुआ।तब सेना नहीं,विदेशी सरकारें तय करेंगी कि भारत लड़ेगा या नहीं।यही असली गुलामी होती है।
इसलिए जब कोई भारतीय कंपनी ड्रोन, हथियार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर,मिसाइल सिस्टम और सर्विलांस टेक्नोलॉजी भारत में बनाती है,तो वह सिर्फ बिज़नेस नहीं कर रही होती,वह भारत की आज़ादी की दीवार मोटी कर रही होती है।चीन यही मॉडल 30 साल से चला रहा है ...उसने अपनी प्राइवेट कंपनियों से हथियार बनवाए,इसलिए आज वह आत्मविश्वास से खड़ा है।भारत देर से शुरू कर रहा है,लेकिन अब सही दिशा में चल पड़ा है।
₹1.8 लाख करोड़ का मतलब सिर्फ फैक्ट्री नहीं है,इसका मतलब है:भारतीय इंजीनियर,भारतीय टेक्नोलॉजी,भारतीय सप्लाई चेन और युद्ध के समय भारत पर किसी विदेशी बटन का कंट्रोल नहीं।

