शुद्ध मनुस्मृति पढ़कर न्यायालय ने राजस्थान हाई कोर्ट परिसर में ऋषि मनु की प्रतिमा स्थापित की..डा० अंबेडकर जी ने मिलावटी मनुस्मृति जलाई जिसमें दलित और नारी को अपमानित करना लिखा था। शुद्ध मनुस्मृति समाज को जातियों में नहीं योग्यता और ज्ञान के आधार पर वर्ण में बाँटती है और नारी को पूजनीय लिखा है पढ़ें शुद्ध मनुस्मृति। शुद्ध मनुस्मृति को साबित करने के कारण ही मनु की प्रतिमा राजस्थान हाई कोर्ट में लगी है।
मूल / ओरिजनल मनुस्मृति एक ही है लेकिन उसमें मिलावट करके समाज को गुमराह किया जाता है और मनु के विरूद्ध में समाज को गलत जानकारी दी जाती है। मनु के विरोध के कारण 28th Aug 1989 को राजस्थान उच्च- न्यायालय के जयपुर परिसर में स्थापित महर्षि मनु की प्रतिमा को हटाने का प्रस्ताव राजस्थान उच्च- न्यायालय की पूर्व पीठ द्वारा सर्वसम्मति से पारित हो गया। जब यह बात चर्चा में आई तब डॉ सुरेंद्र कुमार जी जिन्होंने शुद्ध मनुस्मृति के आधार पर मिलवट सिद्ध की थी, की प्रेरणा से एक समादेश याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ के समक्ष प्रस्तुत करके उस आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की मनु का विरोद्ध कर रहे पक्ष की ओर से जवाब देने का साहस अधिवक्ता / विरोद्धी वक़ील नही जुटा पाए सारी बहस हाई कोर्ट के रिकार्ड में दर्ज है।
अंत में न्यायालय ने एक अंतिम आदेश पारित करके मनु की मूर्ति को न्यायालय परिसर से कहीं ओर ले जाने संबंधित 28th Aug 1989 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी नतीजन मनु की मूर्ति आज भी राजस्थान उच्च- न्यायालय के जयपुर परिसर में स्थापित है।

