एक वकील सुप्रीम कोर्ट के सामने खड़ा होकर कहता है, "अगर मुख्य न्यायाधीश इशारा कर दें, तो करोड़ों सवर्णों (तथाकथित उच्च जाति) को भारत में छिपने की जगह नहीं मिलेगी।"कोई आक्रोश नहीं। कोई स्वतः संज्ञान नहीं। कोई जवाबदेही नहीं। बस चुप्पी। जब हिंदू एकता की बात करते हैं: "सांप्रदायिक"। जब दूसरे विनाश की धमकी देते हैं: "प्रगतिशील।"अगर हिंदू बहुसंख्यक नहीं रहे, तो यही पूर्वावलोकन है। सह-अस्तित्व नहीं। समानता नहीं। बल्कि प्रतिशोध।
वे तुम्हें जाति के आधार पर बाँट देंगे। वे तुम्हारी आस्था को शर्मसार कर देंगे।और जब तुम काफी विभाजित हो जाओगे, अगर तुम बाँटोगे, तो तुम कट जाओगे। ये नीले कबूतर संज्ञान लें यदि सनातनी गलतींस एकजुट हो गए और संकल्पित हो गए तो भारत ही नहीं इस ब्रह्मांड में कही छुपने की तुम्हे जगह नहीं मिलेगी..