एक बेटा अपनी मां को जो की 100 वर्ष की है उसे ₹2000 प्रति माह भरण पोषण देने के लिए भी तैयार नहीं यह अपने आप में कितनी शर्मनाक बात है आप खुद सोच सकते हैं। आखिर किस तरफ जा रहा है हमारा समाज यह कैसी शिक्षा दी जा रही है कि बच्चे अपने माता-पिता को भरण पोषण तक नहीं दे सकते? क्या यही है हमारे देश की मॉडर्न एजुकेशन?
भले ही हमारा समाज कितना ही आधुनिक होता जा रहा है यह कथित रूप से कितना ही शिक्षित होता जा रहा है लेकिन ध्यान से और गहराई से देखा जाए तो यह समाज इतना खराब हो चुका है जिसकी कोई सीमा नहीं। समाज में लोगों का इतना भयानक चरित्र पतन हो चुका है कि इसके बारे में सोच कर भी शर्म आने लग जाए और यदि कोई इस समाज को आइना दिखाना चाहे तो कुछ कथित बुद्धिजीवी लोग विरोध करने लगते हैं जैसा की हाल ही में कुछ संतों का विरोध हुआ है क्योंकि उन्होंने समाज की स्थिति को लेकर सच बोल दिया